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क्या एनेस्थीसिया के कारण  सी-सेक्शन वाली महिलाओं की कमर में रहता है दर्द? पहले समझिए फिर इलाज कीजिए

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 03 Mar, 2025 07:08 PM
क्या एनेस्थीसिया के कारण  सी-सेक्शन वाली महिलाओं की कमर में रहता है दर्द? पहले समझिए फिर इलाज कीजिए

नारी डेस्क: सी-सेक्शन के बाद कई महिलाओं को कमर के नीचले हिस्से में दर्द की शिकायत रहती हे। कई बार ये दर्द पेल्विक एरिया, कूल्हे और कंधे के आसपास भी हो सकता है। इसकी मुख्य वजह माना जाता है डिलीवरी के दौरान  रीढ़ की हड्डी पर दिए जाने वाला इंजेक्शन, इस प्रक्रिया को एपिड्यूरल (Epidural) या स्पाइनल एनेस्थीसिया कहा जाता है। आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि यह प्रक्रिया वाकई में इस दर्द की जिम्मेदार है या नहीं। 


डिलीवरी के बाद कमर दर्द के कारण

एनेस्थीसिया का प्रभाव  कुछ समय तक रहता है जिस कारण कुछ समय तक मांसपेशियों में कमजोरी आ सकती है। डॉक्टर बताते हैं कि प्रसव के समय रीढ़ की हड्डी और पीठ की मांसपेशियों पर बहुत दबाव पड़ता है जिस कारण भी दर्द की दिक्कत रहती है। नवजात की देखभाल करते समय झुककर बैठना या गलत तरीके से स्तनपान कराना भी पीठ दर्द को बढ़ाता है। शरीर में कैल्शियम और विटामिन D की कमी भी डिलीवरी के बाद हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।   लंबे समय तक आराम करने या व्यायाम न करने से भी मांसपेशियों में जकड़न महसूस होने लगती है। 


उम्रभर कमर दर्द से छुटकारा पाने के उपाय

सही पोस्चर बनाए रखें: हमेशा सीधा बैठें और झुककर काम न करें।  बच्चे को स्तनपान कराते समय तकिया या कुशन का सहारा लें।  

हल्की एक्सरसाइज और योग करें: पेल्विक टिल्ट और ब्रिज पोज करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।  भुजंगासन, मकरासन और कटिचक्रासन से कमर का दर्द जल्दी ठीक होता है।  डॉक्टर से सलाह लेकर धीरे-धीरे वॉकिंग और स्ट्रेचिंगशुरू करें।  

हड्डियों को मजबूत करने के लिए सही डाइट लें: कैल्शियम और विटामिन D युक्त आहार लें (दूध, दही, पनीर, बादाम, मूंगफली, हरी सब्जियां)।  
अखरोट, अलसी और ओमेगा-3 फूड्स  हड्डियों के लिए फायदेमंद होते हैं।  हल्दी वाला दूध और तिल के लड्डू खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं।  

गर्म सिकाई और तेल मालिश करें: सरसों या तिल के तेल में लहसुन डालकर गर्म तेल से मालिश करें।  गुनगुने पानी से स्नान करें और जरूरत हो तो  गर्म सिकाई (hot compress) लें।  

भारी वजन उठाने से बचें: अचानक भारी सामान न उठाएं, इससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ता है।  

पर्याप्त आराम करें: सोने के लिए सपोर्टिव गद्दे (Orthopedic Mattress) का इस्तेमाल करें।  करवट लेकर सोने की आदत डालें, इससे रीढ़ की हड्डी पर कम दबाव पड़ता है।  


नोट  : अगर 3-6 महीनों के बाद भी दर्द बना रहता है  या दर्द बहुत ज्यादा हो रहा है तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें।  
 

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