कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते लोगों के मन में डर बैठ गया है। खासकर माता-पिता बच्चों को लेकर काफी चिंतित है क्योंकि तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर हो रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन नहीं आई है। हालांकि 3 जनवरी से 15 साल से अधिक उम्र वाले बच्चों में वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू हो चुका है। ऐसे में कोरोना महामारी के दौरान पेरेंट्स के लिए सबसे जरूरी है बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाना।
सबसे पहले जानिए बच्चों में कोविड के लक्षण
. बुखार का आना
. त्वचा पर चकत्ते
. आंखे लाल होना
. शरीर या घुटनों में दर्द
. उल्टी, पेट दर्द और सिरदर्द
. चिड़चिड़पन, थकान और सुस्ती
. अधिक नींद आना या कम नींद आना
बच्चों को मानसिक रूप से कैसे बनाएं मजबूत?
कोविड के बारे में बताएं
बच्चों को झूठी कहानियां या बातें बताने की बजाए कोरोना से अलर्ट करें, ताकि उन्हें इस पूरी जानकारी हो। अगर बच्चों को इसके बारे में पूरी जानकारी होगी तो वह खुद को इससे सुरक्षित रख पाएंगे।
मनोबल बढ़ाए
आप बच्चों को कोरोना महामारी और वैक्सीन से जुड़े तथ्य, फ्रंट लाइन वर्कस की कहानियां सुनाकर उनका मनोबल बढ़ा सकते हैं।
बताएं बचाव के तरीके
बच्चे इस महामारी से खुद का बचाव कर सके इसलिए उन्हें कोविड प्रोटोकॉल के सभी नियम अच्छी तरह बताएं। उन्हें मास्क लगाने, हाथ धोने या सैनेटाइज करने के महत्व के बारे में समझाएं।
भावनात्मक रूप से बनाएं मजबूत
इस परिस्थिति में बच्चों को मिल-जुलकर रहने का महत्व सिखाएं, ताकि वो भावनात्मक रूप से मजबूत हो। उनके मन से कोरोना का डर निकालने के लिए उन्हें कोविड-19 जंग की कहानियां सुनाएं।
खुद का ख्याल रखना सिखाएं
बच्चों को अपने इम्यूनिटी बढ़ाने और सही खानपान के बारे में जागरूक करें। उनके लिए हेल्दी रूटीन बनाएं। बच्चों को खुद अपना ख्याल रखना सिखाएं।
सामाजिक दूरी को समझाना जरूरी
स्कूल हो या घर, बच्चों के लिए दोस्तों से दूर रहना मुश्किल हैं। मगर, उन्हें उन्हें खेलते वक्त सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने के लिए भी कहें। उन्हें बताए कि यह वायरस एक-दूसरे को छूने से भी फैल सकता है।
योग और एक्सरसाइज
उन्हें घर पर ही योग और एक्सरसाइज करने के लिए उत्साहित करें। हो सके तो आप खुद बच्चों के साथ योग व एक्सरसाइज करें।
घर के माहौल को खुशनुमा बनाएं
कोरोना के डर से बच्चे को दूर रखने के लिए घर के माहौल को खुशनुमा बनाए।साथ ही बच्चों के साथ छोटी-मोटी एक्टिविटी जैसे - ड्राइंग करना, कहानी पढ़ना आदि करें। उन्हें घर के छोटे-मोटे कामों में हाथ बटांने के लिए भी कहें।