भारत में कोरोना के आंकड़े कम हो रहे हैं लेकिन इसी बीच वैज्ञानिकों में तीसरी लहर को लेकर चिंता बनी हुई है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि तीसरी लहर बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में डॉक्टर व वैज्ञानिक बच्चों को तीसरी लहर से बचाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। इसी बीच खबर आ रही हैं कि 36 साल पुराना टीका बच्चों को कोरोना से राहत दे सकता है।
कोरोना के खिलाफ 87% कारगार टीका: स्टडी
हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि बच्चों को दी जाने वाली मीजल्स वैक्सीन (Measles Vaccine) यानि खसरे का टीका कोरोना के खिलाफ मुख्य हथियार साबित हो सकता है। खसरे का यह टीका कोरोना पर 87% कारगार है। शोध के मुताबिक, खसरे का टीका लगवाने वाले बच्चों में संक्रमण की आशंका काफी कम होती है।
शोध के लिए बच्चों के बनाए गए दो समूह
शोध के लिए 2 समूह बनाए गए, जिसमें 1 से 17 साल तक के 548 बच्चों को शामिल किया गया। इसमें 1 समूह कोरोना संक्रमित और दूसरा गैर संक्रमित बच्चों का था। स्टडी में पता चला कि मीजल्स वैक्सीन बच्चों को कोरोना के खिलाफ शुरुआती सुरक्षा देती है।
भारत के टीकाकरण व्यवस्था का हिस्सा है यह टीका
रिसर्च में पुष्टि हुई कि यह टीका बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। दरअसल, मीजल्स और बीसीजी वैक्सीन लगवाने के बाद बच्चों में नॉन स्पेसिफिक इम्यूनिटी बनती है, जिससे वो संक्रमण से बचे रहते हैं। बता दें कि पिछले 36 सालों से खसरे का टीका वैक्सीनेशन व्यवस्था का हिस्सा रहा है।
बड़े स्तर पर ट्रायल की जरूरत
बेशक यह टीका बच्चों को सुरक्षा देता है लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके लिए बड़े स्तर पर ट्रायल करने की जरूरत है। ऐसे में बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल का इंतजार किया जा रहा है।
कब लगाया जाता है खतरा का टीका
केंद्र सरकार ने साल 2018 में यह योजना शुरू की, जिसके तहद 18 से कम उम्र के बच्चे टीका लगवा सकते थे। खसरे का टीका आमतौर जन्म के 9वें और 15वें महीने में लगता है, जिन लोगों को अभी तक टीका नहीं लगा है उन्हें इसकी खुराक दी जानी बाकी है।