नवजात की देखभाल के लिए पेरेंट्स को उनका खास ध्यान रखना पड़ता है। ताकि उनका बेहतर विकास होने के साथ सेहत सही रहे। ऐसे में खासतौर पर बच्चे को सही नींद मिलना बेहद जरूरी है। आमतौर पर कपल्स इस बात से परेशान रहते हैं कि शिशु दिनभर सोकर और देर रात जागकर परेशान करता है। ऐसे में पेरेंट्स की नींद भी खराब होती है। इसके पीछे का कारण शिशु का सही स्लीपिंग पैटर्न बना ना होना होता है। ऐसे में वे अपने हिसाब से कभी भी सो जाते हैं। मगर कई बार शिशु लंबे समय तक सुस्ती में या गहरी नींद में रहता है। ऐसे में बहुत से पेरेंट्स इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं। मगर कई बार बच्चे का जरूरत से ज्यादा सोना चिंता का विषय होता है। ऐसे में पेरेंट्स को अलर्ट होकर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। तो चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल में शिशु का अधिक सोने के कारण व इससे बचने के कुछ उपाय बताते हैं...
नवजात शिशु के लिए 12-16 घंटे की नींद जरूरी
बच्चे की उम्र के हिसाब से उसके सोने का टाइम सेट होता है। बात अगर नवजात की करें तो एक शोध के अनुसार, जन्म से 1 साल तक के शिशु के रोजाना 12-16 घंटे की लेनी जरूरी है। इसके साथ ही 1-2 साल तक के बच्चे को 11-14 घंटे की नींद की जरूरत पड़ती है। इससे उनका शारीरिक बेहतर विकास होने के साथ बीमारियों से बचाव रहता है। शुरू-शुरू में नवजात दिन के समय में 3-4 घंटे के गैप के दौरान रोजाना 30-45 मिनट की नींद लेता है। साथ ही रात के समय ज्यादा देर तक जागता है। फिर उसके 1 साल के होने पर वह रात को भी सोने लगता है।
आम नींद से 2 घंटे अधिक सोना सही
अगर आपका बच्चा अपनी रेगुलर नींद से 1-2 घंटे अधिक सोता है तो इसपर डरने वाली कोई बात नहीं है। मगर अगर कहीं व रोजाना 20-22 घंटों की नींद ले रहा है। इसके अलावा दूध पीने के लिए भी जागता नहीं है तो यह एक चिंता का विशेष है। ऐसे में बिना देर किए तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
शिशु के ज्यादा सोने के पीछे ये कारण हो सकते हैं...
ज्यादा एक्टिव होने पर
अगर बच्चा बाकी के दिनों से ज्यादा एक्टिव रहता है तो इससे उसे थकान हो सकती है। ऐसे में बच्चा बाकी दिनों की तुलना में अधिक सोता है।
वैक्सीन लगवाना
नवजात को वैक्सीन लगने से भी उसे अधिक मात्रा में नींद आती है।
बीमार होने पर
नवजात को पीलिया होने का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में इस बीमारी का शिकार होने पर शरीर अंदर से कमजोर होने लगता है। ऐसे में उसी बार-बार सुस्ती पड़ने से नींद आती है। एक शोध के अनुसार, गंभीर पीलिया की अवस्था में शिशु को दूध पीने में परेशानी आने के साथ दिनभर सुस्ती रहती है।
इंफेक्शन के कारण
छोटे बच्चों जल्दी ही संक्रमित हो जाते हैं। ऐसे में इंफेक्शन होने के कारण शिशु को थकान व सुस्ती रहती है। इसके अलावा लो ब्लड शुगर की समस्या में भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
इस तरह रखें शिशु का ध्यान...
गालों को सहलाएं
अगर बच्चा दूध पीने के समय भी नींद में रहता है तो उसके गालों को हल्के हाथों से सहलाएं। उसके हाथ व तलवों पर हाथ फेरते हुए उसे प्यार से जगाने की कोशिश करें।
बच्चे को चीजों में उलझाकर रखें
अगर आपका बच्चा 6 महीने या इससे बड़ा है तो उसे दिनभर खिलौनों व चीजों में उलझाकर रखें। उसे सुस्ती पड़ने पर भी सोने ना दें। इसके साथ ही शिशु के स्लीपिंग पैटर्न बनाने यानी उसे समय पर सुलाने के लिए उसे दिनभर एक्टिव रखने की कोशिश करें।
सोते हुए ना पीने दे दूध
अगर आपका बच्चा दूध पीते समय भी सुस्ती दिखाता है तो उसे दूध ना पिलाएं। उसे प्यार करते हुए नींद से जगा कर ही दूध पीने दें। इसके अलावा आप उसे जगाने के लिए साफ ठंडे पानी से उसका चेहरा भी पोंछ सकती है। इससे उसकी सुस्ती दूर होने में मदद मिलेगी।