हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हर महीने 2 बार रखा जाता है। वहीं वैशाख माह में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। मगर इस बार इस व्रत की करें तो इसे लेकर थोड़ी कंफ्यूजन है। ऐसे में इस व्रत को कुछ लोग 22 मई और कई लोग 23 मई को मना रहे हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त:
एकादशी तिथि आरंभ: 22 मई 2021, शनिवार सुबह 09:15 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त: 23 मई 2021, सुबह 06:42 बजे तक
पारणा मुहूर्त: 24 मई सुबह 05:26 बजे से सुबह 08:10 बजे तक
इस तरह यह तिथि 22 मई को सुबह 09:15 बजे से शुरु होकर 23 मई सुबह 06:42 बजे तक रहेगी। इसलिए कुछ लोग इसे 23 मई की शाम तक रखेंगे। ऐसे में इस बार दो दिन एकादशी का व्रत रखा जा रहा है।
मोहिनी एकादशी व्रत का महत्व
श्रीहरि को एकादशी व्रत अतिप्रिय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को दैत्यों से बचाने के लिए श्रीहरि ने मोहिनी यानी लड़की का रूप लिया था। फिर इस तरह दैत्यों से अमृत कलश लेकर अमृत देवताओं को पिलाया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वह दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी। ऐसे में तब से इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाने लगा। वहीं मोहिनी एकादशी स्त्री और पुरूष दोनों द्वारा रखना शुभ माना जाता है। श्रीहरि की पाने के लिए लोग इस शुभ दिन पर व्रत रखते हैं। साथ ही एकादशी का व्रत शुरु करने के लिए मोहिनी एकादशी का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। इस व्रत को रखने से जीवन की समस्याएं, पापों व बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
पूजा विधि
. सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ कपड़े धारण करें।
. विष्णु भगवान की पूजा करके उन्हें धूप, दीप, फल, फूल एवं नैवेद्य चढ़ाएं।
. पूरे दिन मन ही मन भगवान विष्णु का स्मरण करते रहें।
. श्रीहरि के मन्त्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें।
. विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
. इस दिन खासतौर पर किसी पर गुस्सा करने से बचें। नहीं तो व्रत का पूरा फल नहीं मिलेगा।
. शाम के समय घर के सभी सदस्य बैठकर एकादशी व्रत की कथा पढ़ें और सुनने।
. रात के समय भी जागरण करें। रात्रि में कुछ भी पेय पदार्थ का सेवन करना अच्छा माना जाता है।
. अगली सुबह स्नान कर पुन: भगवान विष्णु का पूजन कर एकादशी माहात्म्य की कथा का पाठ करें या सुनें।
. किसी जरुरतमंद, गरीब को भोजन खिलाकर व्रत का पारण करें।