23 APRWEDNESDAY2025 7:49:37 AM
Nari

लावारिस शवों की 'वारिस' बनी दिल्ली की पूजा, अब तक कर चुकी हैं 4 हजार से ज़्यादा अंतिम संस्कार

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 16 Apr, 2025 11:28 AM
लावारिस शवों की 'वारिस' बनी दिल्ली की पूजा, अब तक कर चुकी हैं 4 हजार से ज़्यादा अंतिम संस्कार

नारी डेस्क: दिल्ली की रहने वाली 26 साल की पूजा शर्मा उन लोगों के लिए एक मसीहा बन गई हैं, जिनका इस दुनिया से जाते वक्त कोई अपना नहीं होता। वह अब तक 4,000 से ज्यादा लावारिस शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। पूजा न सिर्फ इन्हें अंतिम विदाई देती हैं, बल्कि कोशिश करती हैं कि अंतिम संस्कार मृतक की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हो, ताकि उन्हें आखिरी सफर में भी सम्मान मिल सके।

मां और भाई की मौत ने बदल दी पूजा की ज़िंदगी

पूजा की ज़िंदगी में बदलाव एक बहुत ही दर्दनाक अनुभव के बाद आया। पहले उन्होंने अपनी मां को बीमारी के चलते खो दिया, और कुछ ही समय बाद उनके बड़े भाई की हत्या हो गई। उस समय पूजा के पिता बाहर थे और परिवार में कोई पुरुष नहीं था जो अंतिम संस्कार कर सके। ऐसे कठिन समय में पूजा ने खुद ही पगड़ी पहनकर भाई का अंतिम संस्कार किया।

इस दर्दनाक अनुभव ने उनके मन में यह सवाल खड़ा किया — "जिन लोगों का कोई नहीं होता, उनका अंतिम संस्कार कौन करता होगा?" यही सोच उन्हें एक नई राह की ओर ले गई।

बिना भेदभाव के करती हैं अंतिम संस्कार

भाई के अंतिम संस्कार के बाद पूजा ने ठान लिया कि वह ऐसे सभी लोगों के लिए अंतिम संस्कार करेंगी जिनका इस दुनिया में कोई नहीं। उन्होंने धर्म या जाति की परवाह किए बिना हजारों लाशों को सम्मानपूर्वक विदाई दी है। पूजा का मानना है कि "मृत्यु के बाद हर किसी को सम्मान मिलना चाहिए।"

वह खुद मोर्चरी से संपर्क करती हैं, लावारिस शवों की जानकारी लेती हैं और फिर श्मशान घाट तक शव को ले जाकर अंतिम संस्कार करवाती हैं। हर शव की विदाई मृतक के धर्म के अनुसार ही होती है।

लोगों की दुआओं ने बढ़ाया हौसला

पूजा के इस काम पर शुरुआत में ज्यादा लोगों ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन एक दिन एक ऐसा अनुभव हुआ, जिसने उन्हें यह यकीन दिलाया कि वह सही रास्ते पर हैं। एक परिवार ने पूजा से संपर्क किया और बताया कि वह उनके बेटे का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। परिवार ने पूजा का आभार जताया, और इसी क्षण ने पूजा को और मजबूती दी कि वह इस नेक काम को जारी रखें।

PunjabKesari

नौकरी छोड़ी, परिवार बना ताकत

पूजा ने इस मिशन को पूरा समय देने के लिए अपनी HIV काउंसलर की नौकरी छोड़ दी। उनके पास सोशल वर्क में मास्टर डिग्री है, लेकिन अब वह अपना पूरा ध्यान इस सेवा कार्य में लगा रही हैं।

इस सफर में उन्हें परिवार का पूरा सहयोग मिला है। उनकी दादी अपनी पेंशन पूजा को देती हैं, और उनके पिता, जो ड्राइवर हैं, भी यथासंभव आर्थिक मदद करते हैं। पूजा ने बताया कि एक शव के अंतिम संस्कार में करीब 2,000 रुपये का खर्च आता है, जिसमें एंबुलेंस और अन्य व्यवस्थाएं शामिल हैं।

PunjabKesari

कुछ समाजसेवी लोग भी पूजा के इस काम से प्रेरित होकर उन्हें सहयोग देते हैं।

Bright The Soul Foundation: लोगों के लिए नई उम्मीद

पूजा ने केवल अंतिम संस्कार का कार्य ही नहीं संभाला, बल्कि उन्होंने एक एनजीओ "Bright The Soul Foundation" भी शुरू किया है। इस संस्था के ज़रिए वह समाज के वंचित वर्गों को सशक्त बनाना चाहती हैं और लोगों को प्रेरित करने का कार्य कर रही हैं।

पूजा का संदेश — "मृत्यु के बाद भी हर किसी को मिलना चाहिए सम्मान"

पूजा की कहानी हमें यह सिखाती है कि इंसानियत का धर्म सबसे ऊपर होता है। वह बिना किसी स्वार्थ के, सिर्फ एक भावना के साथ काम कर रही हैं — जो दुनिया से चला गया, उसे भी वही सम्मान मिलना चाहिए, जैसा एक अपने को मिलता है।

पूजा का यह सफर ना सिर्फ भावुक कर देने वाला है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा है कि हम कैसे दूसरों की ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं - चाहे वह ज़िंदगी की आखिरी यात्रा ही क्यों न हो।
 
 
 
 

Related News