ईसाई धर्म का पावन त्यौहार क्रिसमस अब सिर्फ पश्चिमी ही नहीं बल्कि भारत में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग चर्च में प्रार्थना करने के साथ घर में क्रिसमस ट्री भी लगाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पर्व क्यों मनाया जाता है और क्रिसमस ट्री लगाने की परंपका कैसे शुरू हुई। चलिए आज हम आपको इस खास पर्व से जुड़ी ऐसी ही कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं....
क्यों मनाया जाता है क्रिसमस का पर्व?
ऐसा माना जाता है कि ईसा मसीह यानि यीशु (जीसस क्राइस्ट) ने 25 दिसंबर के दिन ही धरती पर जन्म लिया था, जिन्हें ईश्वर की संतान कहा जाता है। हालांकि प्रभु के जन्म तारीख का कोई वास्तविक प्रमाण या तथ्य नहीं है।
सांता क्लॉस से संबंध
कुछ लोग इस दिन को बड़ा दिन भी कहते है।बता दें कि सांता क्लॉस की कहानी का ईसा मसीह के जन्म से कोई संबंध नहीं है। कहा जाता है कि चौथी सदी में तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप संत निकोलस इस दिन गरीब बच्चो को तोहफे और मीठाइयां देते थे। उसी दिन से सांता क्लॉस का चलन शुरू हुआ।
क्यों लगाया जाता है क्रिसमस ट्री?
ऐसी कहा जाता है कि प्रभु प्रभु यीशु का जन्म क्रिसमस के पेड़ के नीचे हुआ था। उनकी मां मरियम और उनके पिता को खुद स्वर्ग दूत ने आकर यीशु के जन्म की शुभकामनाएं दीं थी। यही वजह है कि इस दिन क्रिसमस ट्री को खूब लाइट्स वहैरह से सजाया जाता है। क्रिसमस पर ट्री लगाने की प्रथा चीनियों, मिस्त्रवासियों व हिब्रू ने शुरू की थी, जिसके बाद यह हर जगह प्रचलित हो गई।
कभी नहीं मुरझाता क्रिसमस ट्री
क्रिसमस ट्री को सदाबहार, फर, सनोबर, डगलस, बालसम के नाम से भी जाना जाता है। आपको शायद मालूम ना हो लेकिन यह पेड़ कभी नहीं मुरझाता। यहां तक कि बर्फीले मौसम में भी यह हरा-भरा रहता है।
नेगेटिविटी दूर करता है क्रिसमस ट्री
मान्यता है कि इस पेड़ पर रंग बिरंगी लाइट्स, तोहफे आदि लटकाने से घर की नेगेटिविटी दूर होती है। यूरोपवासियों का मानना है कि इस पौधे को घर में लगाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं।
सूर्य देवता के पुनर्जन्म का दिन
यूरोप में गैर ईसाई समुदाय के लोग 25 दिसंबर को सूर्य के उत्तरायण होने का त्यौहार मनाते थे। क्योंकि इस तारीख से दिन लंबे हो जाते हैं इसलिए इसे सूर्य देवता के पुनर्जन्म का दिन भी माना जाता है। यही वजह है कि ईसाई समुदाय के लोगों ने भी इसी दिन को ईशू के जन्मदिन के त्यौहार क्रिसमस मनाने के लिए चुना।
कार्ड देने की परंपरा
क्रिसमस पर कार्ड देने के परंपरा भी सदियो से चली आ रही है। दुनिया का सबसे पहला क्रिसमस कार्ड 1842 में विलियम एंगले ने अपने परिजनों को भोजा था। इस कार्ड पर शाही परिवार के सदस्य की तस्वीर लगी हुई थी, जिसके बाद पूरी दुनिया में यह सिलसिला शुरू कर दिया गया। इसके कारण लोगों में आपसी मेल-मिलाप बढ़ने लगा।