दुनियाभर में आज विश्व ऑटिज़्म दिवस मनाया जा रहा है, जिसका मकसद लोगों को यह समझाना है कि ऐसे बच्चे बीमार नहीं बस बाकी से थोड़ा अलग होते हैं। यह एक जन्मजात और आनुवांशिक बीमारी है, जो प्रेगनेंसी में की गई कुछ गलतियों की वजह से शिशु को हो सकती है।
भारत में 10 लाख बच्चें ऑटिज्म के शिकार
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017, भारत में करीब 10 लाख बच्चे इससे प्रभावित थे। भारत में हर 68 में से 1 बच्चा ऑटिज्म से ग्रस्त हैं, जिसके लिए 20% आनुवांशिक, 80% प्रदूषण जिम्मेदार है। 1-3 साल के बच्चों में ऑटिज़्म के लक्षण नजर आने लगते हैं।
सबसे पहले जानते हैं क्या है यह बीमारी
ऑटिज़्म एक ऐसा न्यूरोलॉजिकल डिस्आर्डर है , जिसके कारण दिमाग के अलग-अलग हिस्से काम करना बंद कर देते हैं। इससे जूझ रहे बच्चों को बोलने, सीखने व समझने में दिक्कत होती है। इससे पीड़ित बच्चों को खास देखभाल की जरूरत होती है क्योंकि यह डिस्ऑर्डर ठीक नहीं हो सकता।
प्रेगनेंसी में ना करें ये गलती
प्रेगनेंसी में महिलाओं को ज्यादा पोषण की जरूरत होती है क्योंकि इस समय उनपर एक नन्हीं जान की भी जिम्मेदारी होती है। पोषक तत्वों की कमी सिर्फ ऑटिज़्म ही नहीं बल्कि कई बीमारियों का कारण बन सकती है। इसके अलावा प्रेगनेंसी में स्ट्रेस लेने भी बचें।
प्रेगनेंसी में बुखार आना
प्रेगनेंसी के पहले 3 महीनें में अगर तेज बुखार आए तो डॉक्टर से चेकअप करवा लें क्योंकि इससे भ्रूण के ब्रेन का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता।
प्रेगनेंसी में थायराइड
जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी थायराइड या पीसीओडी होती है उनके शिशुओं में भी ऑटिज़्म विकसित होने की अधिक आशंका रहती है।
प्रीमैच्योर डिलीवरी
वहीं, 26 वें हफ्ते या उससे पहले डिलीवरी होने पर भी बच्चे में इसके चांसेस ज्यादा होते हैं। इसके अलावा वायरस, जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी भी ऑटिज्म को जन्म दे सकती है।
आनुवांशिक या प्रदूषण
वैज्ञानिकों की मानें तो माता-पिता के जींस भी इस बीमारी का कारण बन सकते हैं जबकि कुछ वैज्ञानिक बिगड़ते लाइफस्टाइल और प्रदूषण को भी इसका जिम्मेदार मानते हैं।
अब जानते हैं कैसे रखें बचाव...
1. सबसे पहले तो अपनी डाइट में प्रोटीन, विटामिन व कैल्शियम जैसी सभी जरूरी तत्वों को शामिल करें। इसके लिए आप डॉक्टर से डाइट चार्ट भी बनवा सकती हैं।
2. तनाव लेने से बचें। व्यायाम, योग और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जरूर करें। प्रेगनेंसी में कोई भी दवा डॉक्टर से सलाह लिए बना ना खाएं।
3. इस दौरान नशीले पदार्थ, शराब, सिगरेट , तंबाकू, खट्टी चीजें आदि से दूर रहें।
4. सीलिएक (Celiac), पीसीओएस, थायराइड, पीकेयू (Phenylketonuria) रोग है तो पहले डॉक्टर को बताएं। इसके अलावा जर्मन खसरा व रुबेला का इंजेक्शन लगवाना ना भूलें क्योंकि यह ऑटिज्म की संभावना कम करता है।
5. समय-समय पर जांच करवाती रहें और डॉक्टरों के दिए निर्देशों को फॉलो करें।
याद रखें कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखकर आप शिशु को इससे बचा सकती हैं।