आजकल देश भर में आई फ्लू या कंजकिवाइटिश का प्रकोप चल रहा है। इसका प्रकोप हाल ही में हुई बारिश के जलभराव और रुके हुए पानी में जलजनित बैक्टीरिया और वायरस की वजह से सामने आ रहा है। इसके लक्षणों में आँखों का लाल होना , खुजली होना या पानी बहना शामिल है।देश भर में आई बाढ़ और बारिश आई फ्लू का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है जिसके चलते आंखों को ढककर रखने और बार बार आँखों को छूने से परहेज करना चाहिए। अगर आप आई फ्लू की चपेट में हैं तो होमियोपैथी दवाई काफी कारगर साबित हो सकती है
संक्रमण विधि
सीधे संपर्क में आने पर छूत द्वारा, यह वायरस आक्रांत मरीज के स्वसन द्वारा भी बाहर आता है इस तरह एयर बॉर्न भी है। यह वायरस दूषित जल में भी विकसित होता हुआ देखा जाता है इस तरह यह वाटर वार्न भी है।
संक्रमण विकास अवधि (इनक्यूबेशन पीरियड)
यह अत्यंत संक्रामक रोग है। वायरस के संपर्क में आने के 1 से 2 दिन के अंदर लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं।
संक्रमण काल, उम्र, अवधि एवं एरिया
बरसात के मौसम में बच्चे बूढ़े सबको यह संक्रमण लग सकता है, देश के बड़े हिस्से को एक साथ आक्रांत कर सकता है। रोग अवधि 7 से 14 दिन कभी-कभी 3 हफ्ते तक।
लक्षण (इसके लक्षण बहुत घातक नहीं है किंतु परेशान करने वाले हैं)
1- हल्के सर्दी, जुकाम के साथ आंखों में चुभन महसूस होना।
2- आंखों से लसीला स्राव का निकलना।
3- पलकों का आपस में चिपकना और फूल जाना।
4- आंखों की श्लेष्मिक झिल्ली (कंजेक्टाइवा) का इंफ्लमेशन के साथ गहरा लाल हो जाना।
5- फोटोफोबिया, प्रकाश की तरफ देखने में परेशानी।
6- कुछ पड़े होने की आशंका के कारण आंखों को बार-बार साफ करने की इच्छा।
7- कभी-कभी जल्दी आराम ना होने पर गाढ़े पीले रंग का स्राव आना।
8- सुस्ती, हल्का सिर दर्द एवं कमजोरी महसूस करना।
9- छोटे बच्चों में पेट खराब होने की शिकायत मिल सकती है।
10- 8 से 14 दिन में लक्ष्मण स्वतः ही कम होने लगते हैं और आराम मिल जाता है।
बचाव-
1- नमी से बचें और वस्त्रों को अच्छी तरह सुखा कर पहनें।
2- पानी उबालकर ठंडा कर लें और आंखों पर छींटा मार कर दिन में दो-तीन बार धोएं।
3- सभी लोग अपना-अपना तौलिया और रुमाल का प्रयोग करें।
4- संक्रमित को चश्मा लगाने के लिए कहा जाए और उससे दूर रहा जाए।
5- जिस स्कूल में संक्रमण पहुंच गया हो वहां बच्चों को दूर-दूर बैठाया जाय अथवा संक्रमित बच्चे को छुट्टी दिया जाय।
6- वाटर पार्क में जाने से बचें।
7- धूप में जाने से बचें।
8- मोबाइल का प्रयोग कम से कम किया जाय।
बचाव की होमियोपैथिक दवा
जिस एरिया में वायरल कंजेक्टिवाइटिस फैला हो वहां होम्योपैथिक औषधि यूफ्रेसिया 200 रोज एक बार लेना चाहिए और सुरक्षित स्थानों पर सप्ताह में एक बार लेना चाहिए।
होम्योपैथिक चिकित्सा
वायरल कंजेक्टिवाइटिस हो जाने पर लक्षणानुसार अनेक होम्योपैथिक औषधियों का चुनाव किया जा सकता है और त्वरित आराम दिया जा सकता है। जिनमें प्रमुख हैं बेलाडोना, यूफ्रेसिया, अर्जेंटम नाइट्रिकम, पलसाटीला, साइलीसिया, काली म्यूर 6x,मर्क कार, नेट्रम सल्फ, रस टॉक्स इत्यादि। यूफ्रेसिया एक्सटर्नल डिस्ट्रिक्ट वाटर में 5% मिलाकर बनाया गया आई ड्रॉप बाहर से प्रयोग किया जा सकता है।
नोट- औषधियों का प्रयोग होम्योपैथिक चिकित्सकों की राय पर किया जाए।
(डॉक्टर एम डी सिंह, महाराजगंज गाजीपुर उत्तर प्रदेश)