डायबिटीज आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्या में एक बन गई है, जिसे कंट्रोल में रखने के लिए डाइट का खास ख्याल रखना पड़ता है। मगर अब डायबिटीज कंट्रोल करना और भी जरूर है क्योंकि इससे लिवर पर बुरा इफैक्ट पड़ सकता है।
तेजी से बढ़ रहे हैं लिवर डिसीज के मामले
हाल ही में हुए एक रिसर्च के अनुसार,टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में लिवर सिरोसिस व कैंसर का खतरा अधिक होता है। शोध के मुताबिक, 2018 के मुकाबले अब नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर (NAFLD) के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं, जिसका कारण काफी हद तक मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज है। NAFLD एक हानिकारक स्थिति नहीं है लेकिन समय रहते इलाज ना करवाने से इससे कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
डायबिटीज और फैटी लिवर में संबंध
अगर किसी व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज है तो उसके लिवर में वसा के जमने की आशंका ज्यादा हो जाती है। साथ ही डायबिटीज रोगी के खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी बढ़ने लगती है जो दिल व लिवर डिसीज का कारण बनती है।
क्या है फैटी लिवर डिसीज?
फैटी लिवर वह बीमारी है, जिसमें लिवर की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में फैट जमा हो जाता है। लिवर में वसा की कुछ मात्रा का होना तो सामान्य बात है लेकिन फैटी लिवर बीमारी व्यक्ति को केवल तब होती है जब वसा की मात्रा लिवर के भार से 10% अधिक हो जाती है। अतिरिक्त फैट जमा होने के कारण लिवर अपना काम करना भी बंद कर देता है।
फैटी लिवर के लक्षण
भूख न लगना
पेट में सूजन आना
छाती भारीपन और जलन
लिवर वाली जगह पर दबाने से दर्द होना
बदहजमी होना और पेट में गैस बनना
आलस्य और कमजोरी आना
मुंह का स्वाद बिगड़ना
फैटी लिवर डीजिज भी टाइप 2 डायबिटीज के विकास में एक भूमिका निभा सकता है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि टाइप 2 डायबिटीज वाले मरीज अपना खास ख्याल...
. डॉक्टर से समय-समय पर जांच करवाते रहें।
. ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें।
. वजन कंट्रोल करें। इसके लिए हैल्दी डाइट व एक्सरसाइज का सहारा लें।
. अल्कोहल, शराब, सिगरेट से जितना हो सके दूर रहें।
. कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी कंट्रोल में रखें।
. रोजाना कम से 30 मिनट तक व्यायाम जरूर करें।
. जंक फूड्स से दूर रहें क्योंकि इनमें वसा ज्यादा होता है।
. ऐसी दवाईयां न लें जो लिवर के लिए हानिकारक ना हो। इसके लिए अपने डाक्टर से संपर्क करें।
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