आज दिल्ली में किसान अपनी मांगों के लिए और अपने हक के लिए लगातार आवाज उठा रहे हैं। इस आंदोलन में किसानों के साथ युवा, लड़के, लड़कियां और बुजुर्ग सभी कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। कृषि बिलों के खिलाफ किसान अपनी मांगें वापिस लेने का नाम नहीं ले रहे हैं और लगातार एक ही मांग कर रहे हैं कि सरकार इन बिलों को वापिस ले।
किसानों के बिना उनके खेत, उनकी फसलें सब अधूरी हैं, खेतों में फसल उगाते किसान आज अपने भविष्य के लिए एकजुट हो गए हैं लेकिन अब ऐसा भी नहीं है कि किसानों के इन खेतों की रखवाली करने वाला कोई नहीं है। अगर किसान आज घर के बाहर अपने हक के लिए लड़ रहे हैं तो वहीं उनके घरों की महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर अपनी फसल की सुरक्षा के लिए खेतों में उतर आई हैं। एक ऐसी ही खबर सामने आई है हरियाणा के फतेहाबाद के गांव धारसूल से जहां परिवार के सारे पुरूष सदस्य किसान आंदोलन में शामिल हैं तो खेतों में खेती करने महिलाएं पहुंच गई हैं।
11 वर्षीय बेटी प्रिया ने निभाई जिम्मेदारी
आज कल लोगों की सोच है कि अगर पिता घर पर मौजूद नहीं है तो उसके सारे काम करने की जिम्मेदारी एक बेटे की होती है लेकिन 11 साल की प्रिया ने समाज की इन बातों को झूठा साबित कर दिया और एक लड़के की तरह ही अपने पिता की मदद के लिए खड़ी हो गई। दरअसल धारसूल निवासी सतीश कुमार तो इन दिनों किसान आंदोलन में शामिल हैं ऐसे में उनकी बेटी प्रिया कस्सी लेकर खेत में काम करने पहुंच गई। इतना ही नहीं प्रिया ने सिंचाई करने के लिए नाकाबंदी की और फिर ठंड में भी कस्सी लेकर डटी रही।
फसल न हो खराब इसलिए कर रही देखभाल
11 वर्षीय प्रिया की मानें तो वह कहती हैं कि पापा आंदोलन में गए हुए हैं इसलिए वह खेत में आकर काम कर रहे हैं ताकि फसल देखरेख के अभाव में खराब न हों। प्रिया आगे कहती हैं कि वह किसान की बेटी है। उसकी दिनचर्या भी पूरी किसान परिवार जैसी ही है। मेहनत करके परिवार अन्न उगाता है इसलिए बाजुओं में पूरी ताकत हैं। इसकी कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं जिसमें प्रिया के साथ-साथ परिवार की और भी महिलाएं खेतों में दिख रही हैं।
हर क्षेत्र में आगे महिलाएं
सच में आज 11 साल की प्रिया ने अपनी हिम्मत और अपने काम के प्रति प्यार को दिखाते हुए समाज को यह तो सीखा दिया कि कोई भी काम आज की लड़की कर सकती है। फिर चाहे वह खेती का काम ही क्यों न हो। हम भी प्रिया के इस काम को सलाम करते हैं और यही चाहते हैं कि किसान और केंद्र सरकार के बीच कृषि बिलों पर जल्द मतभेद खत्म हों ताकि किसान भी अपने घर अपने परिवार के पास वापिस जा सकें।