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Navratri 2021: तेज की देवी हैं ब्रह्मांड की रचना करने वाली मां कूष्‍मांडा, जानिए कैसे करें प्रसन्न

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 08 Oct, 2021 04:59 PM
Navratri 2021: तेज की देवी हैं ब्रह्मांड की रचना करने वाली मां कूष्‍मांडा, जानिए कैसे करें प्रसन्न

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मगर, हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार 9 और 10 एक ही दिन पड़ रहे हैं इसलिए मां चंद्रघंटा और देवी कूष्मांडा की पूजा एक साथ की जाएग। सूर्यमण्डल के मध्य में निवास करने वाली देवी कूष्मांडा सौर मंडल को अपने संकेत से नियंत्रित करती हैं। मान्यता है कि मां अत्यल्प सेवा और सेवा भक्ति से जल्दी प्रसन्न हो जाती है और भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य का आशीर्वाद देती हैं।

मां कूष्मांडा की जन्म कथा

पौराणिक कथओं के अनुसार, देवी कूष्मांडा का जन्म तब हुआ जब जब ब्रह्मांड का अस्तित्व नहीं था। हर जगह पूर्ण अंधकार के अलावा कुछ भी नहीं था, तब दिव्य प्रकाश की एक किरण प्रकट हुई। जल्द ही वह दिव्य किरण महिला का रूप लेने लगी, जो ब्रह्मांड की पहली सत्ताकारी मां कुष्मांडा कहलाती थी। वह मुस्कुराई और अंधेरा दूर हो गया। मां ने सूर्य, ग्रहों, तारों और आकाशगंगाओं की रचना की और सूर्य के केंद्र में आसन ग्रहण किया।

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सिंह की सवारी करने वाली आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति मां कूष्मांडा की 8 भुजाओं के कारण उन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। 8 भुजाओं में कमण्डलु, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा व माला लिए हुए माता भक्तों को ऋद्धि-सिद्धि, सुख, समृद्धि और रोग मुक्त जीवन प्रदान करती हैं।

मां कूष्मांडा की पूजा विधि

पूजा शुरू करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। उन्हें सिंदूर, काजल, चूड़ियां, बिंदी, पैर की अंगुली की अंगूठी, कंघी, दर्पण, पायल, इत्र, झुमके, नोजपिन, हार, लाल चुनरी आदि अर्पित करें। वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों का जप करते व्रत का संकल्प लें।

कैसे करें देवी मां को प्रसन्न?

. मां को संतरी रंग पसंद है इसलिए इस दिन इसी रंग के कपड़े पहनाएं। मां को वस्त्र, फूल आदि भी इस रंग के चढ़ाना शुभ रहेगा।
. माता कूष्मांडा को मालपुए, हलवा, फल, सूखे मेवे या दही का भोग लगाएं।

मां कूष्मांडा का जप मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और कूष्मांडा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है या मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूं। हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।

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मां कूष्मांडा का ध्यान

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्मांडा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकं
टि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

मां कूष्मांडा का स्तोत्र पाठ

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्मांडे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्मांडे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्मांडे प्रणमाभ्यहम्॥

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