बिना खाए-पीए भी ब्लैडर भरा-भरा रहता है? क्या आप भी बार-बार पेशाब जाती हैं तो इस समस्या को हल्के में ना लें। आम से दिखने वाले ये संकेत ब्लैडर कैंसर की ओर इशारा करते हैं। रिसर्च के अनुसार, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को यह कैंसर ज्यादा होता है, जिसका एक कारण इसके बारे में ज्यादा जानकारी ना होना है।
क्या है ब्लैडर कैंसर?
ब्लैडर यूरिनरी सिस्टम का वो हिस्सा होता है जो किडनी से विषैले पर्दाथों को छानकर यूरिन को कलेक्ट करता है। मगर, जब ब्लैडर में असामान्य कोशिकाओं बढ़ने लगती है और इसकी वॉल के टिश्यूज संक्रमित हो जाते हैं तो उस स्थिति में कैंसर हो सकता है। ब्लैडर कैंसर का एक कारण खून के थक्के बनना भी है।
ब्लैडर कैंसर के लक्षण
. ब्लैडर में भारीपन महसूस होना
. शौच या पेशाब के समय खून आना
. लगातार बुखार रहना
. खांसते समय खून आना
. ब्रेस्ट में गांठ पड़ जाना
. पीरियड्स के समय अधिक ब्लीडिंग
. पेड़ू में असहनीय दर्द
हालांकि हर समय ब्लैडर भरा-भरा लगता है तो इसका कारण कुछ और भी हो सकता है जैसे...
. डायबिटीज
. यूटीआई
. ज्यादा कॉफी का सेवन
. मूत्राशय ओवररिएक्ट होना
. प्रेगनेंसी के कारण भी ब्लैडर पर दवाब पड़ने के कारण ऐसा हो सकता है।
ब्लैडर कैंसर के कारण
- अधिक धूम्रपान , शराब आदि पीना
- महिलाओं में बार-बार गर्भपात होने के कारण भी यह कैंसर हो सकता है।
- एनिलिन डाइज, बेंजिडिन, ओ- टोल्यूइयोडिन (O-toluidine) जैसे केमिकल्स के संपर्क में आना
- टेक्सी व बसों के धुएं के संपर्क में अधिक देर तक रहना
- इसके अलावा रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी या दवाओं , डायबिटीज, मूत्राशय में ट्यूब (कैथेटर) लगा होना, ब्लैडर में पथरी भी इस कैंसर की संभावना बढ़ाती है।
- उन महिलओं को भी इसका खतरा अधिक होता है, जिन्हें समय से पहले मेनोपॉज हुआ हो।
ब्लैडर कैंसर से बचाव
. दिनभर में कम से कम 8-9 गिलास पानी पीएं और अधिक से अधिक लिक्विड डाइट लें।
. धूम्रपान, शराब से जितना हो सके दूरी बनाकर रखें।
. अगर आप ऐसी जगह पर काम करते हैं, जहां केमिकल्स हो तो उनके संपर्क में आने से बचें। इसके लिए आप मास्क पहन सकते हैं।
. डाइट में ज्यादा से ज्यादा हैल्दी चीजें जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, सुखे मेवे, जूस, सूप आदि शामिल करें। इसके अलावा खाने की आदतों को सही रखें।
. रोजाना कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें, खासकर भोजन के बाद 10-15 मिनट जरूर टहलें।
ब्लैडर कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी द्वारा किया जाता है।