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Nari

फ्लाइट में रोई बच्ची तो टॉयलेट में किया बंद,  क्या बच्चे के साथ इतनी सख्ती सही?

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 01 Sep, 2024 10:54 AM
फ्लाइट में रोई बच्ची तो टॉयलेट में किया बंद,  क्या बच्चे के साथ इतनी सख्ती सही?

नारी डेस्क:  चीन में एक रोती हुई बच्ची को विमान के शौचालय में बंद करने वाली दो महिलाओं की घटना ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है। यह घटना इंटरनेट पर तब वायरल हो गई जब इसमें शामिल दो महिलाओं में से एक ने बच्ची को कक्ष में ले जाते हुए अपना वीडियो पोस्ट किया। बताया जा रहा है कि  बच्ची की दादी ने उसे सबक सिखाने के लिए ये किया। 
 

वायरल हुआ वीडियो

 रिपोर्ट के अनुसार, बच्ची ने उड़ान के दौरान रोना शुरू कर दिया था। वायरल वीडियो में, महिला को बच्ची से यह कहते हुए देखा जा सकता है कि वह तभी कक्ष से बाहर जा सकती है जब वह रोना बंद कर दे। इस घटना ने लोगों को हैरान कर दिया है। महिला ने अपनी सफाई में कहा- "मैं बस बच्चे को शांत करना चाहती थी और सभी को आराम करने देना चाहती थी,"
 

पेरेंटिंग को लेकर छिड़ी बहस

वीडियो ने सोशल मीडिया पर पेरेंटिंग को लेकर बहस छेड़ दी है। दरअसल बच्चों के साथ अधिक सख्ती करना उनके मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यह सख्ती चाहे अनुशासन, पढ़ाई, या रोज़मर्रा की गतिविधियों में हो, इससे बच्चों की सोच, आत्म-सम्मान, और व्यवहार में कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।
 

सख्ती से बच्चे के आत्म-सम्मान में आती है कमी

अगर बच्चे पर हर समय सख्ती बरती जाए, तो वह खुद को बेकार या नाकाम महसूस कर सकता है। यह उसके आत्म-सम्मान को चोट पहुंचाता है और उसे लगता है कि वह कुछ भी सही नहीं कर सकता। सख्त अनुशासन और लगातार दबाव के कारण बच्चे में भय, चिंता, और अवसाद जैसी भावनाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। यह उसकी भावनात्मक स्थिरता और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
 

कम्युनिकेशन गैप

त्यधिक सख्ती के कारण बच्चे अपने माता-पिता से खुलकर बात करने में असहज महसूस कर सकते हैं। इससे बच्चों और माता-पिता के बीच संवाद की कमी हो जाती है और बच्चे अपनी समस्याओं और विचारों को साझा करने से बचने लगते हैं। जब बच्चे पर हमेशा सख्ती की जाती है, तो वह अपने फैसले खुद लेने में संकोच करता है। वह आत्मनिर्भर होने के बजाय दूसरों पर निर्भर होना शुरू कर सकता है।  अत्यधिक सख्ती से बच्चे में विद्रोही भावनाएँ पैदा हो सकती हैं। वह आक्रामक हो सकता है, झूठ बोलने लग सकता है, या गलत संगत में पड़ सकता है ताकि वह अपने माता-पिता के नियंत्रण से बच सके।
 

सोशल स्किल्स में कमी

सख्ती से बच्चों का आत्मविश्वास कम हो सकता है, जिससे वह समाज में अपने विचार और भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई महसूस कर सकता है। इससे उसकी सामाजिक कौशल और संबंध बनाने की क्षमता प्रभावित होती है। अत्यधिक सख्ती से बच्चा तनाव में आ सकता है, जिससे उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है, जैसे कि नींद की कमी, पाचन समस्याएँ, और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।
 

ध्यान में रखें ये बातें

माता-पिता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने बच्चों के साथ संतुलन बनाकर व्यवहार करें। अनुशासन और मार्गदर्शन जरूरी है, लेकिन इसे प्रेम, समझ, और समर्थन के साथ मिलाना चाहिए। बच्चों के साथ संवाद करना, उन्हें सुनना, और उनके विचारों को सम्मान देना उनके स्वस्थ मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए आवश्यक है। सख्ती के बजाय सकारात्मक प्रेरणा और उत्साहवर्धन से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है, और वह एक खुशहाल और संतुलित व्यक्ति के रूप में विकसित होता है।
 

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