राजस्थान अपनी रॉयल कल्चर के लिए दुनियाभर में फेमस हैं। यहां राजघराने से ताल्लुक रखने वाले लोग बेहद फेमस हैं। महाराजा-रानियों की इस नगरी में ऐसे बहुत से रॉयल लोग है जो राजनीति में भी शामिल हैं। उन्हीं में से एक ही राजकुमारी दीया कुमारी। दीया कुमारी को लेकर हाल ही में राजस्थान डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा भी कर दी गई है। चलिए आज आपको दीया कुमारी के बारे में ही बताते हैं कि वो किस रॉयल घराने से ताल्लुक रखती हैं?
राजमाता गायत्री देवी की सौतेली पोती हैं दीया कुमारी
दीया कुमारी, जयपुर की राजमाता गायत्री देवी और महाराजा मान सिंह द्वितीय की पोती व स्वर्गीय ब्रिगेडियर भवानी सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की बेटी हैं। दीया के दादा मान सिंह जयपुर रियासत के आखिरी महाराजा थे। मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में जयपुर के महाराजा मान सिंह भी शामिल थे। इसे पहले आमेर और बाद में जयपुर के नाम से जाना गया।आजादी के बाद इस सामाज्य का विलय भारत में हो गया था। दीया कुमारी अपने माता-पिता की इकलौती संतान रही और उनका पालन-पोषण दादी राजमाता गायत्री देवी की देख-रेख में ही हुआ है। दादी राजमाता गायत्री देवी की तरह दीया कुमारी भी बेहद सुंदर दिखती हैं। शिफॉन साड़ी का क्रेज लेकर आने वाली राजमाता गायत्री देवी ही थी और उनका पल्लू को सलीके से लेने का ढंग तो पूरी दुनिया में फेमस था। दादी की तरह दीया कुमारी भी साड़ी में बहुत प्यारी लगती हैं। बता दें कि महाराज भवानी सिंह, राजमाता गायत्री देवी के सौतेले बेटे थे। महाराजा सवाई भवानी सिंह 24 जून 1970 से 28 दिसम्बर 1971 तक जयपुर के महाराजा रहे। दीया कुमारी भवानी सिंह और पद्मिनी देवी की ही इकलौती संतान हैं और दीया गायत्री देवी की सौतेली पोती लगती हैं।
बहू का है थाईलैंड राजघराने से रिश्ता
गायत्री देवी के अपने बेटे जगत सिंह ने थाईलैंड की राजकुमारी प्रियनंदना रंगसित से शादी की थी और उनकी दो संतानें हुई, देवराज और लालित्या लेकिन जगत सिंह और प्रियनंदना के रिश्ते में खटास आ गई और दोनों अलग हो गए। राजकुमारी प्रियनंदना अपने बेटे देवराज और बेटी लालित्या को लेकर थाईलैंड लौट गईं थी। वहीं जगत सिंह की 1997 में मौत हो गई।
घरवालों के खिलाफ दिल्ली के कोर्ट में की शादी
दीया कुमारी ने जयपुर के महारानी गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल और नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से स्कूलिंग की है और फिर आगे उन्होंने लंदन के चेल्सी स्कूल ऑफ आर्ट्स से पढ़ाई की है। दीया कुमारी ने भी अपनी दादी की तरह प्रेम विवाह किया लेकिन यह विवाह सफल नहीं रहा। लंदन से पढ़कर, भारत लौटने के बाद दीया ने परिवार का बिजनेस संभाला था। इस दौरान उन्हें, उनके ही राजमहल में अकाउंटेंट के तौर पर काम करने वाले नरेंद्र सिंह राजावत से उन्हें प्रेम हुआ। वह राजघराने से ताल्लुक नहीं रखते थे। उस समय वह सिर्फ 18 साल की थी। जब उन्होंने अपनी मां को यह बात बताई। उन्हें गहरा झटका लगा क्योंकि वह राजकुमारी की शादी राजघराने में करवाना चाहती थीं। परिवार के विरोध करने के बावजूद दीया ने दिल्ली की एक कोर्ट में गुपचुप तरीके से शादी कर ली और 2 साल तक दीया ने घर में शादी की बात नहीं बताई और जब यह बात पता चली तो इसके बाद अगस्त 1997 को दीया कुमारी की नरेंद्र सिंह के साथ भव्य शादी हुई, जिनसे उन्हें तीन संतान हुईं। उनके बड़े पुत्र महाराज पद्मनाथ सिंह को स्वर्गीय महाराजा भवानी सिंह द्वारा युवराज घोषित किया गया और वह 27 अप्रैल 2011 को जयपुर की गद्दी पर विराजमान हुए। उनके दूसरे पुत्र का नाम राजकुमार लक्ष राज सिंह है और उनकी पुत्री राजकुमारी गौरवी कुमारी हैं लेकिन यह शादी आपसी सहमति से साल 2019 को टूट गई।
2013 में रखा राजनीति में कदम
दीया कुमारी राजनीति में करीब 10 साल पहले आई थी। और साल 2013 में पहली बार वह विधायक बनी थी। उन्हें सवाई माधोपुर निर्वाचन क्षेत्र से जीत मिली थी। इस शहर की स्थापना 18 वीं शताब्दी में उनके पूर्वज महाराजा सवाई माधो सिंह प्रथम ने की थी। साल 2013 में सवाई माधोपुर से विधायक चुनी गईं। राजकुमारी भी अपने परिवार की विरासत को संभालने का कार्य करती हैं। वह सिटी पैलेस, जयपुर, जयगढ़ दुर्ग, आमेर एवं दो ट्रस्ट और दो स्कूल संभालती हैं । इसके अलावा वो तीन राजभवन होटल व पेलेस प्रबंधन का कार्य भी करती हैं। उनके नाम राजस्थान में कई व्यावसायिक उद्यम हैं। वह कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) का भी नेतृत्व करती हैं।
दादी गायत्री देव के नक्शे-कदम पर चलकर रखा राजनीति में कदम
जयपुर राजघराने की बात हो रही हैं तो बता दें कि उनकी दादी महारानी गायत्री देवी जयपुर राजघराने की पहली महिला थीं, जो चुनाव मैदान में न केवल उतरीं थी बल्कि भारी जीत से उन्होंने उस जमाने में अपना नाम 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज करवाया था। उन्होंने उस समय जीत का रिकॉर्ड बनाया था जब देश में केवल कांग्रेस का डंका बजता था। उसी तरह दीया का राजनीति करियर भी बुलंदियों पर रहा। दादी-पोती जब तक मैदान में रहीं, कामयाब रहीं।