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सुमन सुखीजा ने घर में शुरू की 'कीड़ा जड़ी' की खेती, सालाना 30 लाख रुपये पहुंची कमाई

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 19 Sep, 2024 10:26 AM
सुमन सुखीजा ने घर में शुरू की 'कीड़ा जड़ी' की खेती, सालाना 30 लाख रुपये पहुंची कमाई

नारी डेस्क: दिल्ली की निवासी सुमन सुखीजा ने घर पर जड़ी-बूटी की खेती करके एक अनूठा बिजनेस मॉडल तैयार किया है। वह कॉर्डिसेप्स मशरूम, जिसे हिंदी में 'कीड़ा जड़ी' कहा जाता है, की खेती कर रही हैं। यह जड़ी-बूटी अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है और सुमन अब इससे सालाना लाखों रुपये कमा रही हैं।

कीड़ा जड़ी एक औषधीय जड़ी-बूटी

कॉर्डिसेप्स मशरूम, जिसे आमतौर पर 'कीड़ा जड़ी' के नाम से जाना जाता है, हिमालय में पाया जाने वाला एक औषधीय कवक है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। सुमन इसकी खेती करके न केवल अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं, बल्कि लोगों को इसकी लाभकारी विशेषताओं के बारे में भी जागरूक कर रही हैं। इसकी उपयोगिता के कारण इसे कई आयुर्वेदिक दवाओं में भी शामिल किया जाता है।

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खेती की शुरुआत

सुमन ने साल 2018 में हरियाणा के मुरथल में HAIC मशरूम और कृषि विकास केंद्र से मशरूम की खेती की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने कॉर्डिसेप्स के बारे में सीखा और इस पौधे की खेती करने का निर्णय लिया। सुमन बताती हैं कि घर में खाली समय का सही उपयोग करने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया। उनका उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ नहीं था, बल्कि यह भी था कि वह एक नई दिशा में कदम बढ़ाएं।

 घर में लैब की स्थापना

ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, सुमन ने अपने घर के एक कमरे में एक लैब बनाई। उन्होंने इस लैब को बनाने में लगभग 4 लाख रुपये का खर्च किया। लैब में उन्होंने थाईलैंड से खरीदा गया कल्चर रखा, जो कॉर्डिसेप्स उगाने का आधार था। यह कल्चर ठोस रूप में होता है और 3 इंच की पेट्री डिश में आता है। सुमन अब इसे 93 हजार रुपये प्रति किलो के मूल्य पर बेच रही हैं, जिससे उनकी सालाना आय करीब 30 लाख रुपये हो गई है। 

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 कम मेहनत में अधिक लाभ

सुमन का कहना है कि कीड़ा जड़ी की खेती में ज्यादा मेहनत या समय की जरूरत नहीं पड़ती। इसकी शेल्फ लाइफ लंबी होती है, इसलिए इन्हें ताजा बेचने का कोई दबाव नहीं होता। यह जड़ी-बूटी ऑटोइम्यून बीमारियों, सांस संबंधी समस्याओं, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल कम करने और किडनी को स्वस्थ रखने में मददगार होती है। उनके अनुसार, इसे उगाने में केवल सही पर्यावरण और तकनीक की आवश्यकता होती है।

 प्रशिक्षण और जागरूकता

सुमन ने न केवल अपनी खेती से लाभ कमाया है, बल्कि अब वह दूसरों को भी कॉर्डिसेप्स उगाने की ट्रेनिंग देती हैं। उनकी ट्रेनिंग में लोग न केवल खेती की तकनीक सीखते हैं, बल्कि इस व्यवसाय के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त करते हैं। उनका लक्ष्य है कि और लोग भी इस फायदेमंद खेती से जुड़ें और अपने जीवन को सुधारें। 

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 सामुदायिक पहल

सुमन का यह प्रयास केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित नहीं है। वह अपने समुदाय में महिलाओं को इस व्यवसाय से जोड़ने के लिए कई कार्यशालाएं आयोजित करती हैं। उनका मानना है कि यदि महिलाएँ इस दिशा में आगे बढ़ेंगी, तो न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि समाज में भी बदलाव आएगा। सुमन की यह पहल उनकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ अन्य महिलाओं के लिए भी एक नई राह प्रशस्त कर रही है।

भविष्य की योजना

सुमन का अगला लक्ष्य अपनी खेती को और विस्तारित करना है। वह सोच रही हैं कि आने वाले समय में ऑनलाइन प्लेटफार्म पर अपने उत्पादों को बेचें ताकि उनकी पहुंच और भी अधिक लोगों तक हो सके। इसके अलावा, वह इस क्षेत्र में और नई तकनीकों को अपनाने की योजना बना रही हैं, ताकि गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में वृद्धि की जा सके। 

सुमन सुखीजा की कहानी यह दर्शाती है कि घर में जड़ी-बूटी की खेती कर के कैसे आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है। उनकी मेहनत और दृढ़ता न केवल उन्हें सफल बना रही है, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। सुमन का उद्यम केवल व्यक्तिगत सफलता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह समाज में बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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