श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां देश भर में जोर- शोर से चल रही हैं। कहा जाता है कि जन्माष्टमी पर पूजा- पाठ करने से आपकी सभी मनोकामानाएं पूरी होती है, तभी तो भक्त भगवान कृष्ण के लिए उपवास रखते हैं । हमारे वेदों और पुराणों में इस व्रत की महिमा के बारे में कुछ खास बातें बताई गई हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है उसे 20 करोड़ एकादशी व्रतों के समान फल तो मिलता ही है साथ मं सौ जन्मों के पापों से मुक्ती भी मिलती है।
महिलाएं इसलिए रखती हैं व्रत
इस दिन सुहागिन व कुंवारी महिलाएं निर्जला व्रत भी करती हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने और विधि विधान से पूजन करने पर नि: संतान लोगो को संतान सुख प्राप्त होता है, वहीं कुवांरी लड़कियां भगवान श्रीकृष्ण जैसा पति और जीवन में खुशी की कामना से यह व्रत रखती हैं। ऐसे में अगर आप भी व्रत रखने जा रही हैं तो इन चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
पहले लें व्रत का संकल्प
जन्माष्टमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और श्रीकृष्ण के आगे व्रत का संकल्प करें। यह संकल्प आप हाथों में तुलसी की एक पत्ती पकड़ कर करें और साथ ही व्रत के दौरान होने वाली किसी भी भूल के लिए पहले ही क्षमा मांग लें। अगर आपने निर्जल व्रत रखा हैं तो मध्यरात्रि में भगवान की पूजा करने के बाद जल और फल ग्रहण करें। यदि आप विवाहित हैं तो उपवास रखने के एक रात्रि पूर्व आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
व्रत के दौरान इन नियमों का करें पालन
. सुबह उठकर स्नान करें और फिर श्रीकृष्ण की पूजा करें।
. इस दिन गीता, विष्णुपुराण, कृष्णलीला का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
. व्रत के दिन कान्हा को पंचामृत से स्नान करवाएं और उन्हें नए कपड़े पहनाएं।
.साथ ही कान्हा को झूला-झूलाना और चंद्रमा को अर्घ्य देना ना भूलें।
भूलकर भी ना करें ये गलती
.भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में भूलकर भी बासी या मुरझाए फूल का प्रयोग न करें।
. इस दिन कोई भी नकारात्मक विचार, क्रोध व बुरी बातें मन में ना लाएं।
. व्रत के एक दिन पहले व बाद में लहसुन, प्याज, मांसहार, शराब या तामसिक भोजन से दूरी बना लें।
. जन्माष्टमी में किसी के प्रति गलत विचार नहीं लाना चाहिए और न ही किसी भी व्यक्ति को अपशब्द कहना चाहिए
. जन्माष्टमी पर न तो तुलसी की पत्तियां तोड़नी चाहिए और न ही किसी पेड़-पौधे को काटना चाहिए।
जन्माष्टमी की पूजा के लिए तुलसी दल एक दिन पूर्व ही तोड़कर रख लेना चाहिए।
जन्माष्टमी पर तुलसी का महत्व
इस दिन आप पानी में तुलसी की पत्ती डालकर उसका सेवन करें। इतना ही नहीं, आपको तुलसी की भी इस दिन विधि विधान से पूजा करनी चाहिए और श्रीकृष्ण के हर भोग में तुलसी का पत्ता जरूर रखना चाहिए। यह बात भी याद रखें कि भगवान कृष्ण का कोई भी भोग बिना तुलसी पत्ते के नहीं रखा जाता है।
व्रत करने के लाभ
शास्त्रों के मुताबिक एकादशी का व्रत हजारों-लाखों पाप नष्ट करने वाला अदभुत ईश्वरीय वरदान है लेकिन एक जन्माष्टमी का व्रत हजार एकादशी व्रत रखने के पुण्य की बराबरी का है। अगर आप एकादशी के व्रत नहीं कर पाते हैं तो जन्माष्टमी का व्रत करके पुण्य कमा सकते हैं।