कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर अब भारत में थमता हुआ नज़र आ रहा है। वहीं इसी बीच एक्सपर्ट ने तीसरी लहर की भी आशंका जताई है उनका कहना है कि तीसरी लहर को रोका नहीं जा सकता, और इस लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों में देखने को मिल सकता है। भारत में बच्चों पर कोरोना का प्रभाव इसलिए भी ज्यादा बना हुआ है कि क्योंकि, देश में बच्चों के लिए अब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आई हैं।
वहीं, अब दूसरी तरफ पटना में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में मंगलवार को बच्चों पर भारत बायोटेक के कोवैक्सिन का क्लिनिकल परीक्षण शुरू हो दिया है। स्वेच्छा से टीके के परीक्षण के लिए आने वाले 15 बच्चों में से तीन पूरी तरह से चिकित्सकीय जांच के बाद शुरुआती शॉट यानि पहली डोज देने वाले पहले व्यक्ति बने।
2 से 18 वर्ष की आयु के 100 बच्चों को शामिल करने का रखा लक्ष्य-
सभी बच्चों की पहले शॉट्स को लेकर स्क्रीनिंग प्रक्रिया, जैसे आरटी-पीसीआर, एंटीबॉडी परीक्षण और सामान्य जांच कर ली गई थी। पटना एम्स के अधीक्षक डॉ. सीएम सिंह, जो परीक्षण के प्रमुख अन्वेषक भी हैं, उन्होंने कहा कि टीके के परीक्षण में 2 से 18 वर्ष की आयु के कम से कम 100 बच्चों को शामिल करने का लक्ष्य रखा है। डॉक्टर सीएम सिंह ने बताया कि, अब तक 108 बच्चों ने परीक्षण के लिए पंजीकरण कराया है और उन्हें स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बाद ही टीका मिलेगा। इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन की 0.5 मिली खुराक देने के बाद तीनों बच्चों की दो घंटे तक निगरानी की गई।
वैक्सीन की पहली डोज के बाद बच्चे में नहीं दिखा कोई दुष्प्रभाव-
डॉ. सिंह ने कहा कि वैक्सीन की पहली डोज देने के बाद किसी भी बच्चे में कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखा है। वहीं अस्पताल ने तीन बच्चों के माता-पिता को एक डायरी दी है और उनसे उनके स्वास्थ्य की निगरानी करने को कहा है। अगर इस दौरान बच्चों को कोई भी दिक्कत होती है तो उन्हें फौरन पटना एम्स से संपर्क करने को कहा गया है।
तीनों बच्चों को 28 दिन के बाद दी जाएगी दूसरी खुराक-
वहीं अब, तीनों बच्चों को 28 दिन के अंतराल के बाद दूसरी खुराक दी जाएगी। एक बार उनका टीकाकरण पूरा हो जाने पर टीके के किसी भी दुष्परिणाम के लिए बच्चों की पूरी तरह से जांच की जाएगी। पटना एम्स में कोविड19 के नोडल प्रभारी डॉ संजीव कुमार ने कहा कि जिन तीन बच्चों को मंगलवार को पहला शॉट मिला, वो 12 से 18 साल की आयु के हैं और पटना के ही निवासी हैं। पटना एम्स ने बच्चों को उनकी उम्र के आधार पर ट्रायल के लिए तीन समूहों में बांटा है। ये तीन आयु वर्ग 2-5 साल, 6-12 साल और 12-18 साल हैं।
फाइजर की वैक्सीन भी भारत में बच्चों को लगाई जाएगी- डॉक्टर रणदीप गुलेरिया
बतां दें कि अभी तक अमेरिकी दवा कंपनी फाइज़र ही फिलहाल दुनिया की एकमात्र कंपनी है जिसकी वैक्सीन बच्चों को लगाई जा रही है। वहीं, एम्स दिल्ली के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि फाइजर की वैक्सीन भी भारत में बच्चों को लगाई जाएगी। बता दें कि जल्द ही फाइजर की वैक्सीन भारत आने वाली है। केंद्र सरकार ने बुधवार को इस बात के संकेत दिए हैं कि फाइज़र और मॉडर्ना की वैक्सीन को भारत में । डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि ये पहला मौका नहीं है जब किसी वैक्सीन को भारत सरकार ने यहां बिना ट्रायल के हरी झंडी दी हो।