मां बनने वाली महिला में कई तरह के भावनात्मक बदलाव आते हैं। वहीं, बहुत-सी महिलाओं को डिलीवरी के बाद डिप्रेशन का सामना भी करना पड़ता है, जिसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन (प्रसवोत्तर अवसाद) भी कहा जाता है। प्रेगनेंसी के बाद महिलाओं में डिप्रेशन का कारण हार्मोनल बदलाव के साथ-साथ सामाजिक और पारिवारिक माहौल भी हो सकता है। हालांकि डिप्रेशन को रोकना काफी हद तक परिवार के हाथ में है। अगर समय रहते लक्षण पहचान लिए जाए तो महिलाओं को डिप्रेशन से बाहर निकाला जा सकता है।
पोस्ट प्रेगनेंसी में डिप्रेशन के लक्षण
यह समान्य न्यूक्लियर परिवारों में ज्यादा देखी गई है, जिस महिला को यह डिप्रेशन होता है, उसमें ये प्रमुख लक्षण देखे जा सकते हैं
. नींद की कमी या बार-बार नींद टूटना
. व्यवहार में बदलाव होना
. लगातार थकान रहना
. दिन में बार-बार मूड बदलना
. अधिक गुस्सा आना
. ऐसा लगना जैसे नवजात के साथ बॉन्डिंग खत्म हो गई है
. चिड़चिड़ा स्वभाव या उदास रहना
. बच्चे को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित रहना
डिप्रेशन कितनी तरह का होता है?
पोस्ट प्रेगनेंसी के दौरान महिलाएं में डिप्रेशन 3 तरह के होते हैं....
. पहला बेबी ब्लूज, जिसमें महिलाओं का मूड़ बार-बार बदलता रहता है।
. दूसरा पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन, जो डिलीवरी के कुछ हफ्ते बाद होता है। इसमें महिलाओं में चिंता, उदासी, व्यवहार में बदलाव जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
. तीसरा पोस्ट प्रेगनेंसी साइकोसिस, जिसमें महिलाओं की मानसिक स्थिति गंभीर रहती है। ऐसी स्थिति में महिलाओं को झूठी बातों का आभास होता है। इसमें महिलाओं को ज्यादा नुकसान होता है।
महिलाएं में आत्महत्या जैसे कदम उठा सकती हैं
कई बार डिप्रेशन में महिलाओं को ऐसा लगने लगता है कि उनकी जिंदगी बेकार हो गई है। ऐसे में वह परिवार से इस कद्र दूर हो जाती है कि उसके मन में नकारात्मक भर जाते हैं। ऐसे में वो आत्महत्या के बारे में सोचने लगती हैं। ऐसे में परिवार को महिलाओं की कंडीशन समझते हुए उनके साथ वक्त बिताना चाहिए और उन्हें खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए।
डिप्रेशन से महिला की जिंदगी से होता है क्या असर?
डिप्रेशन से सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पति व नवजात पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। समय पर इलाज ना मिल पाने की वजह से महिलाएं कई बार गंभीर रूप से भी बीमार हो सकती हैं।
परिवार कैसे बचा सकता है डिप्रेशन से
. परिवार को डिलीवरी के बाद महिलाओं के साथ ज्यादा समय बिताना चाहिए और उन्हें अकेले महसूस नहीं होने देना चाहिए।
. महिलाएं हल्के व्यायाम व योग कर सकती हैं।
. परिवार वाले डिलीवरी के बाद महिलाओं को सैर पर ले जा सकती हैं।
. उनके खान-पान का खास ख्याल रखें और कैफीन से परहेज रखें।
. दोस्तों से लगातार संपर्क में रहें।
. डिलीवरी के बाद महिलाओं के लिए नींद बहुत जरूरी है। ऐसे में जब बच्चा सो रहा हो तो महिलाओं को भी सोने का समय दें।