नवरात्रि में सबसे पहला काम होता है मंदिर की सफाई। क्योंकि किसी भी स्थान की पवित्रता बनाए रखने के लिए उसकी साफ़ सफाई करनी बहुत जरूरी होती है। बात जब मंदिर की हो तो इसे लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरुरत पड़ती है। माना जाता है कि मंदिर में ठीक से सफाई न की जाए तो वहां ईश्वर का वास नहीं हो पाता है। ऐसे में आपको बताते हैं मंदिर का साफ करने का आसान तरीका।
-वैसे तो मंदिर को रोजाना सूखे और साफ कपड़े से साफ करना चाहिए, अगर नहीं ताे 15 दिन में अच्छे से जरूर साफ करें। मंदिर को पूरा खाली करके ही अच्छे से सफाई हो पाएगी।
भगवान की मूर्तियों के कपड़े और मंदिर के टॉवल आदि को एक दिन पहले ही धोकर सूखा लें ताकि पूजा के समय कोई दिक्कत न आए।
-खाली मंदिर को सैंड पेपर से अच्छी तरह घिसकर साफ करें। ऐसे में चिपकी हुई राख और जलने के निशान निकल जाएंगे।
-अगर आपका मंदिर लकड़ी का है, तो दो चम्मच ऑलिव ऑयल में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर इस मिश्रण का इस्तेमाल करने से लाैट आएगी मंदिर की चमक
-भगवान की मूर्ति धातु या चांदी की है तो उसे नमक या टूथपेस्ट लगा कर साफ करें। इससे मूर्ति अच्छे से साफ होगी।
-भगवान की मूर्तियों को साफ करने के लिए पानी की जगह गंगाजल का इस्तेमाल करें। नींबू के छिलके को रगड़ने से भी नई जैसी हो जाएंगी मूर्तियां।
-मंदिर में लगे गुलाल या फिर चंदन के दाग हटाने के लिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
-मिट्टी से बने दीपक साफ करने के लिए साबुन और गर्म पानी के घोल में भिगो दें और थोड़ी देर बाद ब्रश से घिस कर साफ करें।
-पूजा के बर्तन अगर पीतल या तांबे के हैं तो उनमें थोड़ा नींबू और नमक लगाकर रगड़े, ऐसा करने से बर्तन चमक जाएंगे।
वास्तु के इन नियमों का रखें ध्यान
मंदिर की सफाई कभी भी संध्याकाल के बाद न करें। रात में भगवान को जगाने पर उनका अपमान होता है और इससे घर की समृद्धि में बाधा हो सकती है।
अगर मंदिर में दीपक जल रहा है तो भी गलती से भी उस दौरान सफाई नहीं करनी चाहिए। मंदिर में दीपक जितनी देर तक प्रज्जवलित होता है, घर में उतनी ही समृद्धि आती है, सफाई की वजह से दीपक में भी बाधा आ सकती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्नान कर, साफ कपड़े पहनने के बाद ही मंदिर की साफ-सफाई करनी चाहिए।
रात के समय व्यक्ति का मन और शरीर दोनों ही अशुद्ध होते हैं, इसलिए इस वक्त सफाई करने से बचें।