भारत एक ऐसा देश है जहां हर साल बहुत से व्रत और त्योहार मनाएं जाते हैं। बात अगर व्रत की करें तो यहां के लोग पूरी श्रद्धा से व्रत रखते हैं। जहां पत्नियों द्वारा पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखा जाता है, वहीं बेटे की भी लंबी उम्र और मंगल कामना करते हुए माओं द्वारा जीवित्पुत्रिका या जीतिया व्रत रखा जाता है। बात अगर जीवित्पुत्रिका की करें तो हर साल यह व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। ऐसे में हिंदू धर्म में इस व्रत को लेकर बहुत महत्व है। तो चलिए जानते हैं, इस व्रत को रखने की शुभ तिथि व मुहूर्त...
व्रत की तिथि एवं पूजा मुहूर्त
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरूआत 10 सितंबर गुरुवार दिन को दोपहर में करीब 02 बजकर 5 मिनट पर होगी। साथ ही यह तिथि 11 सितंबर दिन शुक्रवार को दोपहर 0 बजकर 34 मिनट तक मानी जाएगी। बात अगर उपवास को रखने की करें तो यह उदया तिथि में यानि कल 10 सिंतबर को माओं द्वारा अपने पुत्र की लंबी उम्र और बेहतर भविष्य के लिए रखा जाएगा।
व्रत पारण का समय
जो महिलाएं इस व्रत को रखेंगी। वे इस व्रत का पारण 11 सिंतबर दिन शुक्रवार को सुबह सूर्योदय से लेकर दोपहर 12 तक तक सकती है। इस समय- सीमा में व्रत का पारण करना शुभ रहेगा।
व्रत का महत्व
पति की लंबी उम्र की कामना करने वाली स्त्रियों द्वारा करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। उसी व्रत की तरह जितिया व्रत अपने पुत्र की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इन दिन सभी माएं अपने बेटों की लंबी उम्र, बेहतर भविष्य, सेहत को लेकर मंगल कामनाएं करती है। इस व्रत के दौरान मां कुछ भी खा- पी नहीं सकती है यानी उसी करवा चौथ की तरह निर्जला व्रत रखना होता है। जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत पूरे तीन दिनों तक चलता है। मान्यता है कि माओं द्वारा इस व्रत को रखने से संतान का भविष्य और भी उज्जवल और अच्छा होता है।