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कहीं आप भी त नहीं ‘संगम’ की जगह कर आए ‘यमुना स्नान’? इन घाटों पर डुबकी लगाए बिना अधूरी है महाकुंभ यात्रा

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 28 Jan, 2025 10:52 AM
कहीं आप भी त नहीं ‘संगम’ की जगह कर आए ‘यमुना स्नान’? इन घाटों पर डुबकी लगाए बिना अधूरी है महाकुंभ यात्रा

नारी डेस्क: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम, महाकुंभ 2025 में रोजाना करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर पहुंच रहे हैं। अब तक 140 मिलियन से अधिक लोग संगम पर डुबकी लगा चुके हैं। हालांकि इनमें से बहुत से लोग जाने-अनजाने यमुना को गंगा घाट समझकर वहीं डुबकी लगा रहे हैं। अगर आप भी महाकुंभ जाने की योजना बना रहे है तो आप भी यह गलती करने से बचें नहीं तो आपका वहां जाना व्यथर् हो जाएगा। चलिए विस्तार से समझिए इन घाटों के बारे में 

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महाकुंभ में शाही स्नान क्या होता है

शाही स्नान(राजयोगी स्नान) कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण स्नान होता है। यह उन खास तिथियों पर होता है जब अखाड़ों (संत समाजों) के साधु-संत सबसे पहले पवित्र स्नान करते हैं। शाही स्नान में नागा साधु, महामंडलेश्वर और अन्य संत अपनी परंपराओं के अनुसार स्नान करते हैं। यह सबसे पवित्र स्नान माना जाता है।शाही स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। लाखों श्रद्धालु इस दिन संगम स्नान करने आते हैं।

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 प्रयागराज के प्रमुख घाट और उनका महत्व

संगम घाट:- यही वह पवित्र स्थान है जहां गंगा, यमुना और सरस्वती मिलती हैं। यहां सबसे ज्यादा श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। शाही स्नान भी यहीं होता है।

छतनाग और दशाश्वमेध घाट: त्रिवेणी घाट के अलावा इन दो घाटों पर भी आप डुबकी लगा सकते हैं, लेकिन ये घाट थोड़े दूर हैं, जिस वजह से श्रद्धालु बस त्रिवेणी संगम घाट भी पर ही डुबकी लगाने के लिए आते हैं।

अरैल घाट: यह संगम के पार स्थित है, जहां से अखाड़ों के साधु स्नान के लिए संगम की ओर जाते हैं। यहां कई आश्रम और संतों के डेरा होते हैं।

किला घाट: यह घाट प्रयागराज किले के पास स्थित है और काफी ऐतिहासिक है। यहां से संगम जाने के लिए कई नावें उपलब्ध होती हैं।

अक्षयवट घाट: यहां स्थित अक्षयवट (अमर वृक्ष)बहुत ही पवित्र माना जाता है। संगम के करीब होने के कारण यह स्नान के लिए उपयुक्त है।

यमुना घाट:- यह घाट प्रयागराज में यमुना नदी के किनारे स्थित होते हैं। यहां गंगा नहीं मिलती, इसलिए इसे संगम स्नान की श्रेणी में नहीं रखा जाता।

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संगम घाट पर शाही स्नान कैसे करें?

शाही स्नान के दिन सबसे पहलेनागा साधु और अखाड़ों के संत स्नान करते हैं। आम श्रद्धालु उनके स्नान के बाद स्नान कर सकते हैं। शाही स्नान के दिन सूर्योदय से पहलेस्नान करना श्रेष्ठ माना जाता है। साधु-संतों के बाद ही आम भक्तों को स्नान की अनुमति मिलती है। महिलाओं के लिए अलग स्नान क्षेत्र बनाए जाते हैं। संगम तक पहुंचने के लिएनाव की सुविधा उपलब्ध होती है।

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महाकुंभ 2025 के प्रमुख शाही स्नान तिथियां 

पहला शाही स्नान (मकर संक्रांति) -14 जनवरी 2025 

दूसरा शाही स्नान (मौनी अमावस्या)- 29 जनवरी 2025

तीसरा शाही स्नान (बसंत पंचमी)- 3 फरवरी 2025 

चौथा शाही स्नान (माघी पूर्णिमा)- 12 फरवरी 2025

पांचवां शाही स्नान (महाशिवरात्रि)-26 फरवरी 2025
 

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