दुनियाभर में 4% लोग फाइब्रोमायल्गिया रोग (Fibromyalgia Syndrome) से जूझ रहे हैं लेकिन बहुत कम लोगों को इसके बारे में जानकारी है। इस बीमारी में थकान, नींद की कमी और जोड़ों में असहनीय दर्द होता है इसलिए ज्यादातर लोग इसे गठिया समझ लेते हैं। मगर, ऐसा नहीं है। इसके कारण मस्कुलोस्केलेटल दर्द होता है, जिसे हल्के में लेना आपकी परेशानी बढ़ा सकता है।
क्या है फाइब्रोमायल्जिया?
फाइब्रोमायल्जिया सिंड्रोम एक पुरानी दर्द की स्थिति है, जो आमतौर पर मांसपेशियों को प्रभावित करता है जबकि गठिया के कारण जोड़ पर असर पड़ता है। यह समस्या महीनों या सालों तक बनी रह सकती है लेकिन सही समय पर इलाज मिलने से यह दूर भी हो जाती है।
फाइब्रोमायल्जिया और गठिया में फर्क
फाइब्रोमायल्गिया रोग गठिया का रूप नहीं है क्योंकि यह मांसपेशी से जुड़ी समस्या है। वहीं, फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण गठिया की तरह समय के साथ खराब नहीं होते। सही इलाज से इस बीमारी को दूर किया जा सकता है। जबकि गठिया का इलाज सालों साल चलता है।
फाइब्रोमायल्जिया रोग के कारण
-आनुवांशिक
-किसी तरह का संक्रमण
-शारीरिक या भावनात्मक आघात
-कोई दुर्घटना
फाइब्रोमायल्जिया रोग के लक्षण
. मांसपेशियों में तेज दर्द
. अधिक तनाव
. बेवजह थकान रहना
. नींद ना आना
. माइग्रेन की समस्या
. हाथ-पैर या शरीर के कुथ हिस्सों में सुन्नपन
. यूरिन करते समय जलन व दर्द
ये दर्द आमतौर पर गर्दन, नितंब, कंधे, हाथ, ऊपरी पीठ और छाती को प्रभावित करता है।
महिलाओं को अधिक खतरा
शोध के मुताबिक, पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इस समस्या से ज्यादा परेशान रहती है, जिसका कारण है खुद को सही समय ना देना पाना। दुनियाभर में करीब 90% महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्त हैं, जबकि पुरुषों की संख्या 10% है। महिलाओं में इसका कारण हार्मोन असंतुलन हो सकता है लेकिन इसका कोई सटीक परिणाम नहीं आया है।
कैसै रखें बचाव?
लाइफस्टाइल की कुछ आदतों में बदलाव करके आप फाइब्रोमायल्जिया के लक्षणों को कम कर सकते है, जैसे...
-दिनभर में कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें
-डाइट में हैल्दी चीजें लें और अनहैल्दी फूड्स को बाय-बाय कहें।
-भोजन समय पर करें और उसके बाद 15 मिनट टहलें।
-स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से व्यायाम व योग करना भी जरूरी है।
अगर आप भी इस बीमारी से बचे रहना चाहते हैं तो आज ही अपनी आदतों में ये बदलाव करें।