डॉक्टरों को ऐसे ही नहीं भगवान का रूप कहा जाता है। जिस समय पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आए भीषण भूकंप की जानकारी मिलने के बाद घाटी में लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित जगहों पर भाग रहे थे, उस समय में दक्षिण कश्मीर के एक अस्पताल के डॉक्टरों ने एक मरीज की जान बचाना उचित समझा और डर के बावजूद धैर्य बनाए रखा।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शबीना शाह बिजबेहरा सरकारी अस्पताल में एक गर्भवती महिला का सीजेरियन करने वाली टीम का हिस्सा थीं, जब मंगलवार की रात घाटी में भूकंप के झटके महसूस किए गए। सोशल मीडिया पर सर्जरी का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दिखाई दे रहा है डॉक्टर बिना पलक झपकाए आपातकालीन सर्जरी जारी रखते हैं।
डॉ शबीना ने मीडियाकर्मियों से कहा- ‘‘डर लगना स्वाभाविक है, लेकिन उस वक्त ऑपरेशन थियेटर में मौजूद पूरी टीम के लिए मरीज की जान सबसे महत्वपूर्ण थी।'' उल्लेखनीय है कि मंगलवार की कश्मीर घाटी में भूकंप के झटके महसूस किए गए। इमारतें हिलने लगीं, तो लोग लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित जगहों पर भागने लगे। उसी समय डॉ. सबीना और उनकी टीम ऑपरेशन थियेटर में बिजबेहरा अस्पताल में एक मरीज को एलएससीएस करने में व्यस्त थी।
ऑपरेशन थियेटर में टेबल पर लेटे मरीज के साथ तेज झटके के वक्त कुरान की आयतें पढ़ते हुए डॉ. शबीना ने कहा कि डर स्वाभाविक है, लेकिन उस वक्त मौजूद पूरी टीम के लिए मरीज की जान ज्यादा जरूरी थी। भारत के उत्तरी हिस्सों के साथ कश्मीर घाटी और अफगानिस्तान, पाकिस्तान और अन्य देशों में बीती रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए।
झटके के दौरान कुछ मिनटों के लिए ऑपरेशन थियेटर में रोशनी बंद होने के बावजूद डॉ. शबीना और उनकी टीम ने प्रक्रिया को आगे बढ़ाया, लेकिन उन्होंने प्रक्रिया के दौरान हर समय अपनी बुद्धि को सक्रिय रखा। उन्होंने कहा- ‘‘हमारी मुख्य प्राथमिकता रोगियों का इलाज करना है। मरीज ऑपरेशन टेबल पर था और हम ऑपरेशन के आगे के चरण में थे। ऐसे में हम मरीज को नहीं छोड़ सकते'' । डॉ. शाह ने कहा-‘‘ऑपरेशन में भाग लेने वाली पूरी टीम के लिए यह खुशी का पल था और हम इस कठिन समय में मां और बच्चे दोनों की जान बचाने में सफल रहे।'' उन्होंने कहा कि जब किसी को सफलता मिलती है तो व्यक्ति के लिए चीजें ही बड़े पुरस्कार की तरह लगती हैं।