भारत में बहुत से मंदिर स्थापित है। सभी मंदिरों की अलग-अलग मान्यताएं है। वहीं आंध्र प्रदेश राज्य की तिरुमाला पहाड़ियों पर स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर धार्मिक महत्व के साथ एक खास बात से भी दुनियाभर में मशहूर है। इस पावन मंदिर की खासियत है यहां पर रोजाना 3 से 4 लाख लड्डू बनाएं जाते हैं। साथ ही मंदिर की रसोई को दुनिया के सबसे बड़े किचन में से एक माना जाता है। इसके साथ ही इन लड्डूओं का स्वाद भी बेहद खास है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
प्रसाद का महत्व
इस मंदिर में भक्त प्रसाद का सेवन जरूर करते हैं। माना जाता है कि इसे खाने से मन और आत्मा शुद्ध हो जाती है। इसके साथ ही जिंदगी में भूलवश हुए पापों से छुटकारा मिलता है। प्रसाद में चरणामृत को बेहद महत्व दिया जाता है। इसकी एक बूंद भी धरती पर गिराना पाप के बराबर माना जाता है।
खुफिया रसोई 'पोटू' में तैयार किए जाते हैं लड्डू
तिरुमाला मंदिर की खुफिया रसोई को 'पोटू' कहा जाता है। कहा जाता है कि इसमें रोजाना 60 से 70 हजार तीर्थयात्रियों के लिए खाना बनाया जाता है। इसके साथ ही प्रसाद के तौर पर खास 3 से 4 लाख लड्डू बनाएं जाते हैं। इन लड्डूओं का स्वाद इतना खास होता है कि हर कोई इसे खाने की इच्छा रखता है। बता दें, इसकी शुरुआत के लिए साल 2006 में मंदिर के बाहर एक खास जगह रखी गई थी। फिर वहां पर आधुनिक किचन बनवाया गया। वहीं इस रसोई में मंदिर के पुजारी और कुछ खास लोग ही प्रवेश कर सकते हैं। इसके साथ ही किचन की सफाई का खास ध्यान रखा जाता है।
लड्डू बनाने का तरीका
मंदिर की इस विशाल रसोई में सौर ऊर्जा पर आधारित खाना बनाया जाता है। लड्डू बनने के लिए चने के आटे, बेसन, चीनी, घी, किशमिश, मक्खन, काजू और इलायची यूज होती है। इसके लिए सबसे पहले घी गर्म करके चने के आटे से बूंद बनाई जाती है। उसके बाद इस बूंदी को स्वचालित ट्रे पर बड़े-बड़े बॉक्स में रख दिया जाता है। उसके बाद लड्डूओं को शेप देकर तैयार किया जाता है।