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World Osteoporosis Day: 6.5 करोड़ भारतीयों को प्रभावित करता है, ऑस्टियोपोरोसिस

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 17 Oct, 2024 01:30 PM
World Osteoporosis Day: 6.5 करोड़ भारतीयों को प्रभावित करता है, ऑस्टियोपोरोसिस

नारी डेस्क: 20 अक्टूबर को वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे मनाया जाता है, जब दुनिया भर में ऑस्टियोपोरोसिस के प्रति जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए जाते हैं। इस समय देश में लगभग 6.5 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, जिनमें 80% महिलाएं शामिल हैं। ऑस्टियोपोरोसिस का अर्थ है हड्डियों का खोखला होना, जिससे हड्डियों में कमजोरी और टूटने की संभावना बढ़ जाती है।

ऑस्टियोपोरोसिस का कारण

ऑस्टियोपोरोसिस तब होता है जब हड्डियों में कैल्शियम जैसे मिनरल्स की कमी तेजी से होती है। कई कारणों से यह समस्या उत्पन्न होती है, जैसे

डायबिटीज

डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जो न केवल रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित करती है, बल्कि यह हड्डियों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। डायबिटीज के मरीजों में ऑस्टियोक्लास्ट कोशिकाएं, जो हड्डियों के पुराने और कमजोर टिशू को नष्ट करती हैं, की संख्या में कमी आ जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि हड्डियों में नया टिशू बनाने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। विशेषकर, टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, क्योंकि उनके शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कम होता है, जो हड्डियों के निर्माण के लिए आवश्यक होता है । इसके अलावा, उच्च रक्त शर्करा स्तर हड्डियों में कैल्शियम के अवशोषण को कम कर सकता है, जिससे हड्डियों की घनत्व में कमी आती है। यह स्थिति समय के साथ हड्डियों को कमजोर कर सकती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ता है।

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गठिया की बीमारी

गठिया, विशेषकर रूमेटॉइड आर्थराइटिस, हड्डियों के निर्माण में बाधा डालता है। इस स्थिति में इम्यून सिस्टम स्वस्थ हड्डियों के टिशू पर हमला करता है, जिससे सूजन और दर्द होता है। इसके परिणामस्वरूप, हड्डियों को आवश्यक मिनरल्स जैसे कैल्शियम और फॉस्फोरस की कमी होती है, जो हड्डियों की ताकत बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। साथ ही, गठिया से प्रभावित व्यक्ति सामान्य गतिविधियों में कमी कर सकते हैं, जिससे हड्डियों की मजबूती और कम होती है। सही आहार और नियमित व्यायाम गठिया के प्रभाव को कम कर सकते हैं और हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, यदि आप गठिया से पीड़ित हैं, तो अपने हड्डियों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।

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थॉयराइड रोग

थॉयराइड ग्रंथि के अधिक सक्रिय होने से हड्डियों के टूटने और बनने की प्रक्रिया में तेज़ी आ सकती है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। जब थॉयराइड ग्रंथि अधिक हार्मोन का उत्पादन करती है, तो इससे हड्डियों के टिशू के बनने और नष्ट होने (रीमॉडलिंग) की प्रक्रिया बढ़ जाती है। यह प्रक्रिया सामान्य से अधिक तेज़ हो जाती है, जिससे हड्डियों का घनत्व कम होता है और वे अधिक आसानी से टूटने लगती हैं। इस स्थिति का विशेष रूप से महिलाओं पर अधिक प्रभाव पड़ता है, खासकर जब वे मेनोपॉज के चरण में होती हैं। इसके अलावा, थॉयराइड संबंधी समस्याओं से ग्रसित व्यक्तियों में हड्डियों में कैल्शियम का अवशोषण भी प्रभावित हो सकता है, जो उनके हड्डियों की मजबूती को और कम करता है। थॉयराइड से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का सही उपचार और एक संतुलित आहार, जिसमें कैल्शियम और विटामिन D शामिल हैं, हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। नियमित व्यायाम और चिकित्सकीय सलाह के माध्यम से भी इस स्थिति का प्रबंधन किया जा सकता है।

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मजबूत हड्डियों के लिए एक्सरसाइज

हड्डियों को मजबूत रखने के लिए नियमित एक्सरसाइज करना आवश्यक है। यहाँ कुछ प्रभावी एक्सरसाइज हैं जो आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकती हैं:

1. कदमताल (Marching in Place) समतल भूमि पर खड़े होकर, घुटने को कमर की ऊंचाई तक लाते हुए कदमताल करें। यह सरल एक्सरसाइज हड्डियों के घनत्व और मजबूती को बढ़ाती है।

2. प्लैंक पुश-अप की स्थिति में आकर शरीर को एक सीध में रखें। इसे कुछ समय होल्ड करें। यह एक्सरसाइज कलाई और कंधों के संकिट को मजबूत करती है, जिससे हड्डियाँ मजबूत होती हैं।

3. ओवरहेड प्रेस हल्के वजन (डम्बल या पानी की बोतल) के साथ दोनों हाथों को कंधे की ऊंचाई तक लाएं और फिर ऊपर की ओर ले जाएं। यह रीढ़ और जोड़ों की मांसपेशियों को मजबूत करता है।

खानपान का ध्यान रखें

हड्डियों को मजबूत रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन-डी से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करें। हरी पत्तेदार सब्जियाँ, डेयरी उत्पाद और नट्स जैसे खाद्य पदार्थों में ये पोषक तत्व भरपूर होते हैं।ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचने के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और नियमित एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है। अगर आप इनमें से कोई समस्या महसूस करते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।

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अधिक जानकारी के लिए, स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लें और नियमित चेकअप कराते रहें।


 

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