उत्तराखंड के चमोली जिले में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान शनिवार को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। फूलों की यह घाटी 87 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है जहां हिमालय की दुर्लभ वनस्पतियां देखने को मिलती हैं। इसे अंग्रेजी में Valley of Flowers कहते हैं।
बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच अपने सुरम्य स्थान और इसके बीच में बहने वाली पुष्पावती नदी के कारण यह स्थल दुनियाभर से बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। चूंकि यह एक संरक्षित क्षेत्र है, इसलिए पर्यटक घाटी में रात के समय नहीं रुक सकते और उन्हें उसी दिन आधार शिविर लौटना होता है।
फूलों की घाटी 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी। यहां के लिए शुल्क भारतीयों के लिए 200 रुपये और विदेशी नागरिकों के लिए 800 रुपये है। कहा जाता है कि रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पधारे थे। इस घाटी का पता सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ (अंग्रेजी: Frank S Smith) और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ (अंग्रेजी: R.L.Holdsworth) ने लगाया था।
हिमाच्छादित पर्वतों से घिरा हुआ और फूलों की 500 से अधिक प्रजातियों से सजा हुआ यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों या फूल प्रेमियों के लिए एक विश्व प्रसिद्ध स्थल बन गया है। फूलों की घाटी भ्रमण के लिये जुलाई, अगस्त व सितंबर के महीनों को सर्वोत्तम माना जाता है। सितंबर में ब्रह्मकमल खिलते हैं। बागवानी विशेषज्ञों और फूल प्रेमियों के लिए ये जगह स्वर्ग से कम नहीं है। इस घाटी के नजारे देखते ही बनते हैं।