बुद्ध पूर्णिमा के खास मौके पर दुनिया एक बार फिर खूबसूरत नजारे की साक्षी बनी। बुधवार रात चंद्रमा आकाश में अपनी सारी कलाएं बिखेरता नजर आया। इस खगोलीय घटना को सुपरमून कहा जाता है, जिसमें चांद, धरती के सबसे नजदीक आ जाता है। सुपरमून के दौरान चंद्रमा ज्यादा चमकदार और बड़ा दिखाई देता है।
सामान्य दिनों में पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी 384,400 किलोमीटर होती है, हालांकि सुपरमून के वक्त वो दूरी घटकर 3 लाख 57 हजार 264 किलोमीटर रह जाती है। बुधवार की पूर्णिमा को ‘‘बक मून’’ नाम दिया गया है। ऐसा साल के उस समय के संदर्भ में किया गया है, जब हिरन के नए सींग उगते हैं। 14 जून को दिखे सुपरमून को ‘‘स्ट्रॉबेरी मून’’ नाम दिया गया था क्योंकि यह पूर्णिमा स्ट्रॉबेरी की फसल के समय पड़ी थी।
नासा के अनुसार एक सुपरमून वर्ष के सबसे कमजोर चंद्रमा की तुलना में 17 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी चमकीला दिखाई देता है। सुपरमून दुर्लभ होते हैं और साल में तीन से चार बार इनकी स्थिति बनती है। भारतीय समयानुसार इसे बुधवार यानी आज रात 12 बजकर 8 मिनट पर देखा गया।
कहा जाता है कि यह लगातार तीन दिनों तक नजर आएगा। इस साल पूरी दुनिया में 6 और सुपरमून दिखाई देंगे। इनमें से पहला 13 जुलाई, दूसरा 11 अगस्त, तीसरा 10 सितंबर, चौथा 9 अक्टूबर, पांचवां 8 नवंबर और छठवां 7 दिसंबर को आकाश में नजर आएगा। सुपरमून को डीयर मून, थंडर मून, हे मून और विर्ट मून के नाम से भी जाना जाता है।