महिला के शरीर की बनावट ही ऐसी होती है कि प्राइवेट पार्ट में इंफेक्शन (Infection) या अन्य किसी गुप्त रोग का खतरा बना रहता है। बहुत सी महिलाओं को लगता है कि प्राइवेट पार्ट की समस्या की वजह बच्चेदानी हैं। वहीं बच्चे पैदा करने के बाद बच्चेदानी की कोई समस्या ना हो जाए इसलिए इसे पहले ही बाहर निकलवाने का चलन बढ़ सा गया है। इसे मेडिकल भाषा में हिस्टरेक्टॉमी कहते हैं लेकिन क्या ऐसा करना सही है? एक्सपर्ट्स की मानें तो बच्चेदानी या गर्भाशय निकालना, किसी भी महिला के लिए सुरक्षित नहीं है। इसे तब ही निकलवाना सही रहता है, जब महिला पहले से ही कैंसर या किसी और जानलेवा बीमारी की शिकार हो क्योंकि अगर आप बच्चेदानी रिमूव करवाते हैं तो इसके कई तरह के साइड इफेक्ट्स भी सामने आ सकते हैं।
प्राइवेट पार्ट को हो सकता है नुकसान
अगर बच्चेदानी को प्राइवेट पार्ट ( वैजाइना) के द्वारा निकाला जा रहा है तो कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। वैजाइना महिला के शरीर का बहुत ही संवेदनशील अंग है। इसकी मांसपेशियां और टिशूज बहुत ही ज्यादा नाजुक होते हैं। अगर सर्जन थोड़ी सी भी लापरवाही करता है तो प्राइवेट पार्ट को नुकसान पहुंच सकता है।
हो सकती है खून की कमी
बच्चेदानी निकालने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है, जिसके कारण कई महिलाएं को बहुत ज्यादा खून बह जाता है। इससे जल्दी रिकवरी नहीं हो पाती है। इससे आप एनीमिया का भी शिकार हो सकते हैं। कई मामले ऐसे सामने आते हैं, जिसमें ब्लड क्लॉटिंग के कारण लंग्स और दिल के लिए खतरनाक होता है।
अंदरुनी अंगों को भी लग सकती है चोट
कई बार सर्जरी के दौरान आसपास के अंदरुनी अंगों में चोट लग जाती है। इसके आसपास आंते, पेल्विक, हड्डियां, ओवरी, फैलोपियन ट्यूब होती है। इसके कारण कई बार खतरनाक साबित हो सकती है।
समय से पहले हो सकता है मेनोपॉज
बच्चेदानी को निकालने की स्थिति में ज्यादातर महिलाओं में समय से पहले मेनोपॉज की स्थिति आ जाती है, जो कि महिला की हेल्थ के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकता है।
कब जरूरी होता है बच्चेदानी निकलवाना
फाइब्रॉइड
इसमें बच्चेदानी के आसपास गांठें हो जाती हैं। इनके कारण पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग और दर्द होता है। इससे ब्लेडर पर भी दबाव रहता है और बार-बार टॉयलेट जाना होता है।फाइब्रॉइड आकार में बड़े हों तो सर्जरी जरूरी हो जाती है।
एंडोमेट्रिओसिस
बच्चेदानी के आसपास की लाइनिंग ज्यादा फैल जाने पर ये ओवरीज, फेलोपियन ट्यूब और दूसरे अंगों पर असर डालने लगती है। इस कंडीशन को एंडोमेट्रिओसिस कहते हैं। इस तकलीफ से जूझ रहे मरीज की रोबोटिक हिस्टरेक्टॉमी की जाती है और यूट्रस निकाला जाता है।
कैंसर
यूट्रस, सर्विक्स, ओवरीज का कैंसर होने या ऐसी गांठें होने पर जो आगे चलकर कैंसर में बदल सकती हैं, हिस्टरेक्टॉमी जरूरी हो जाती है।
यूटेराइन ब्लीडिंग
पीरियड्स के दौरान कई महिलाओं को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है जो दवाओं से किसी भी तरह कंट्रोल नहीं होती है। ऐसे में एनीमिया और दूसरी तकलीफों का खतरा बढ़ जाता है, तब बच्चेदानी निकलवाना ही आखिरी ऑप्शन होता है।
नहीं कर पाएंगी कंसीव
वैसे तो ये बात ज्यादातर महिलाओं को पता ही होती है, लेकिन अगर आप नहीं जानती हैं तो आपको बता दें बच्चेदानी हटाने से आप बच्चा कंसीव नहीं कर पाएंगी। अगर आप बच्चेदानी हटाने के बाद कंसीव करने के बारे में सोच रहे हैं, तो इस धारणा को अपने मन से पूरी तरह से निकाल लें। बच्चेदानी यानी गर्भाशय हटाने के बाद महिलाएं कंसीव नहीं कर सकती हैं।