भाई-बहन के बीच पवित्र बंधन का जश्न मनाने के लिए हर साल रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं तो भाई अपनी बहन से उसकी रक्षा करने का वादा करते हैं। वैसे तो रक्षाबंधन का पर्व मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं, भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी कथा सबसे अधिक प्रचलित है। श्रीकृष्ण और द्रौपदी के रिश्ते में भाई-बहन जैसा असीम स्नेह था। चलिए आपको बताते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथा।
श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को दिया था वचन
पौराणिक कथाओं के अनुसार , शिशुपाल के वध के बाद जब श्रीकृष्ण की उंगली से रक्त बहा था, तो द्रौपदी ने अपना आंचल फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया था, जिस पर भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को बहन मानते हुए इसका ऋण चुकाने का वचन दिया था। महाभारत में कई जगह श्रीकृष्ण और द्रौपदी को सखा और सखी के रूप में बताया गया है।
द्रौपदी ने मुश्किल वक्त में भाई को किया था याद
कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा था कि- जिस समय भी वह स्वयं को संकट में पाएं, उन्हें याद कर ले। तभी जब धृतराष्ट्र के भरी राजसभा में द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था कि तब कृष्ण ही थे जिन्होंने अपनी बहन की लाज बचाई थी। तब भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य विदुर यहां तक की द्रौपदी के पति पांडव भी कुछ नहीं कर पाए थे। उस समय द्रौपदी ने अपनी आंखें बंद की और भाई श्रीकृष्ण को याद किया।
श्रीकृष्ण ने बचाई थी बहन की लाज
बहन द्रौपदी की पुकार सुनते ही श्रीकृष्ण ने अपनी शक्ति से उसकी लाज बचाई। उन्होंने द्रौपदी की साड़ी को इतना बड़ा कर दिया कि दु:शासन साड़ी खींचते-खींचते थक गया और बेहोश हो गया। राजदरबार में साड़ी का ढ़ेर लग गया, लेकिन द्रौपदी की साड़ी कृष्ण की लीला से समाप्त नहीं हुई। इस तरह से श्रीकृष्ण ने अपने दिए वचन से बहन द्रौपदी की लाज बचाई और रक्षा का दायित्व निभाया। कहा जाता है कि तभी से रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है।
यम और यमुना
एक अन्य कथा के अनुसार, रक्षा बंधन की रस्म भारत में बहने वाली नदी यम, मृत्यु के देवता और यमुना द्वारा की गई थी। एक बार यमुना ने यमराज को राखी बांधी तो मृत्यु के स्वामी ने उन्हें अमरता प्रदान की। कहा जाता है कि जो भी भाई राखी बंधवाकर अपनी बहन की रक्षा करता है वह भी अमर हो जाएगा।