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कम उम्र में मिली सबसे बड़ी जीत, शांभवी चौधरी बनीं देश की सबसे युवा महिला सांसद

  • Edited By Manpreet Kaur,
  • Updated: 05 Jun, 2024 03:06 PM
कम उम्र में मिली सबसे बड़ी जीत, शांभवी चौधरी बनीं देश की सबसे युवा महिला सांसद

नारी डेस्क: आप सभी जानते ही हैं कि 2024 के लोकसभा चुनावी नतीजे सामने आ गए हैं। इस बार चुनाव में कई महिलाओं ने बाजी मारी है और उन्हीं में से एक शांभवी चौधरी भी हैं। शांभवी चौधरी ने बिहार में 40 सीटों में मुजफ्फरपुर के बाद सबसे बड़े अंतर से अपनी जीत दर्ज की है। सिर्फ यही नहीं बल्कि बड़ी बात तो यह है कि LJP के सिंबल पर बिहार की समस्तीपुर लोकसभा सीट जीतने वाली शांभवी भारत की सबसे कम उम्र की सांसद बन गई हैं। उन्होंने बिहार में सनी हजारी को 187251 वोटों से हराया। 

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कौन हैं शांभवी चौधरी?

शांभवी चौधरी की उम्र महज 25 साल है। वह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी की नेता हैं। शांभवी चौधरी के पिता अशोक चौधरी जेडीयू नेता हैं। वह नितीश कुमार की कैबिनेट में सबसे प्रभावशाली मंत्रियों में से एक हैं। उनके पिता कांग्रेस से जेडीयू में आए थे। शांभवी चौधरी के दादा स्वर्गीय महावीर चौधरी भी कांग्रेस के नेता थे। जब पार्टी बिहार में सत्ता में थी तब वे राज्य मंत्री थे।

शुरु से थी राजनीती में रुचि 

आपको जानकारी के लिए बता दें कि एक पुराने इंटरव्यू में  शांभवी चौधरी ने कहा था कि उन्हें हमेशा से राजनीति में रुचि थी। उन्होंने कहा, "कोई भी पिता अपनी बेटी के लिए जनादेश नहीं जीत सकता। इसके लिए मुझे कड़ी मेहनत करनी होगी। समस्तीपुर के लोग तय करेंगे कि मुझे लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा या नहीं। मेरा परिवार यह तय नहीं कर सकता है। मुझे ऐसे लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा बनना है जो लोगों के द्वारा और लोगों के लिए है।" 

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'समस्तीपुर ने हमें बेटी मान लिया'

अपनी जीत को लेकर शांभवी ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि वह - हम वादा करेंगे कि उन्होंने सही फैसला लिया है और उनकी हर उम्मीदों पर हम खरा उतरने का प्रयास करेंगे। आगे उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि 5 हजार से जीते, 10 हजार से जीते वह भी जीत होती है, लेकिन समस्तीपुर की जनता ने हमें इतने बड़े मार्जिन 2 लाख वोट से जीत दर्ज कराई है। यह सिर्फ चुनावी जीत नहीं है। हम मानते हैं कि लोगों ने हमें दिल में जगह दी है। शांभवी चौधरी ने कहा कि जब हम आए थे तो हमने कहा था कि हम बेटी के रूप में आए हैं। बेटी के रूप में आशीर्वाद दीजिए। आज हम कह सकते हैं कि समस्तीपुर ने हमें बेटी मान लिया है। 

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