पहली महिला अग्निवीर हिशा बघेल पर आज पूरे देश को गर्व है। इस बहादुर लड़की ने ना सिर्फ अपना माता- पिता का सपना पूरा किया बल्कि कई लड़कियों के लिए मिसाल बन गई है। बस दुख इस बात का है कि जिस पिता के लिए हिशा बघेल ने यह मुकाम हासिल वो अपनी बेटी को ऊंचाइयों पर उड़ता देख ही नहीं पाए। सालों का सपना पूरा होने से चंद दिनों पहले ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की रहने वाली एक ऑटो ड्राइवर की बेटी हिशा बघेल की। 19 साल की हिशा अग्निवीर के तहत भारतीय नौसेना में भर्ती हुई हैं। जब वह जब आईएनएस चिल्का में महिला अग्निवीरों के पहले बैच के रूप में अपनी पासिंग आउट परेड में मार्च कर रही थीं, तब उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसे प्रेरित करने वाले पिता उन्हें छोड़कर चले गए हैं।
16 सप्ताह की कड़ी ट्रेनिंग के बाद हिशा जब अपने घर आई तो वहां उनका भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान उन्हें अपने पिता की कमी बहुत महसूस हुई। दरअसल ऑटो चला कर अपना परिवार पालने वाले संतोष बघेल का सपना रहा था कि उनकी बेटी को पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी मिल जाए। हिशा का इंडियन नेवी में चयन तो हो गया लेकिन इस दौरान पिता का साथ हमेशा के लिए छूट गया।
हिशा की ट्रेनिंग में किसी तरह का खलल ना पड़े इस वजह से परिजनों उन्हें पिता की मौत की खबर नहीं दी गई। अब हिशा जब घर आई तो नाच- गाने का साथ उनका स्वागत किया गया। इसके साथ ही गांव की महिलाओं ने उनकी आरती उतार कर टीका भी लगाया। इस दौरान वह जैसे ही अपनी मां से मिली तो सैल्यूट मारकर उनके गले लग गई। यह देखकर हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
बता दें कि हिशा छत्तीसगढ़ की पहली महिला अग्निवीर हैं। वह लगभग 2,600 रंगरूटों के एक बैच में थी, जिसमें 273 महिलाएं शामिल थीं। इन्होंने 28 मार्च को ओडिशा के आईएनएस चिल्का में अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण पूरा किया और भारतीय नौसेना में शामिल हुईं।14 जून, 2022 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सशस्त्र बलों में सेवा करने के लिए भारतीय युवाओं के लिए भर्ती योजना ‘अग्निपथ’ को मंजूरी दी. योजना के तहत चयनित युवाओं को ‘अग्निवीर’ के रूप में जाना जाएगा।