कोविड रोधी टीके ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के विनिर्माण में मुख्य भूमिका निभाने वाली वैज्ञानिक ने आगाह किया है कि मानव जाति को चपेट में लेने वाला कोई अगला वायरस अधिक घातक तथा अधिक संक्रामक हो सकता है। उल्लेखनीय है कि ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका टीके को भारत में ‘कोविशील्ड’ नाम से इस्तेमाल किया जा रहा है।
अधिक तैयारियों की आवश्यकता
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जेनर संस्थान में टीका विज्ञान की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने कहा कि महामारी नियंत्रण में हुई प्रगति को व्यर्थ होने से रोकने के लिए और अधिक धन तथा तैयारियों की आवश्यकता है। गिल्बर्ट को टीका विकसित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा विशेष रूप से सम्मानित किया गया था। वैज्ञानिक ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ के खिलाफ टीके कम प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन उल्लेख किया कि संक्रमण और हल्की बीमारी के संबंध में सुरक्षा कम होने का मतलब यह नहीं है कि गंभीर बीमारी और मृत्यु के खिलाफ भी सुरक्षा कम हो जाएगी।
अधिक संक्रामक हो सकता है अगला वायरस
गिल्बर्ट ने कहा, "यह आखिरी बार नहीं है जब कोई वायरस हमारे जीवन और हमारी आजीविका के लिए खतरा बना है। सच्चाई यह है कि अगला कोई वायरस और भी बुरा हो सकता है। यह अधिक संक्रामक, या अधिक घातक, या दोनों हो सकता है। कोविड-19 से पहले, गिल्बर्ट ने मलेरिया और इन्फ्लुएंजा के एंटीजन का उपयोग करते हुए 10 साल से अधिक समय तक टीकों पर काम किया। 59 वर्षीय विशेषज्ञ बीबीसी के 44वें रिचर्ड डिम्बलबी व्याख्यान में बोल रही थीं।
ओमीक्रोन के बढ़ रहे हैं मामले
इस वार्षिक व्याख्यान का नाम ब्रिटिश पत्रकार और प्रसारक रिचर्ड डिम्बलबी के नाम पर रखा गया है। व्याख्यान जाने-माने वक्ताओं द्वारा दिया जाता है। ब्रिटेन में रविवार को ‘ओमीक्रोन’ से जुड़े 86 नए मामले सामने आए जिससे देश में इस स्वरूप से जुड़े मामलों की संख्या 246 हो गई है। इस बीच, देश में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 43,992 और इस महामारी से मौत के 54 नए मामले दर्ज किए गए हैं।