यह तो हम सभी जानते हैं कि मां का दूध बच्चे के विकास के लिए सर्वोत्तम होता है । ब्रेस्टफीडिंग कराने से बच्चे में किसी भी पोशक तत्व की कमी नहीं रहती । लेकिन नवजात शिशु को घुट्टी पिलाने की प्रथा भी हमारे देश में सदियाें से चली आ रही है। यह एक एक पारंपरिक भारतीय आयुर्वेदिक काढ़ा है जिसे मां के दूध या पानी में दवा मिलाकर तैयार किया जाता है।
डॉक्टर नहीं देते शहद देने की सलाह
जन्म घुट्टी में जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है जिनमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। कुछ माता- पिता बच्चे को जन्म के पहले दिन से ही घुट्टी पिलाना शुरू कर देते हैं। माना जाता है कि इससे इम्यूनिटी बढ़ती है और दांत आने, दस्त, कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। हालांकि डॉक्टरों की इसे लेकर अलग राय है। उनका मानना है कि जब तक शिशु एक साल का न हो जाए, उसे शहद नहीं दिया जाना चाहिए।
शहद खिलाने का ये है नुकसान
मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन अस्पताल के निदेशक डा नितीन वर्मा का कहना है कि एक साल से कम उम्र के बच्चे को कच्चा शहद नहीं देना चाहिए। इसकी वजह से शिशु में बोटुलिस्म हो सकता है जो कि एक घातक लेकिन दुर्लभ बीमारी है। यह बीमारी एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद के कारण होती है। बॉटुलिज्म की समस्या जन्म के बाद 6 दिन शिशु से लेकर 1 साल तक के बच्चे को हो सकती है, लेकिन 6 सप्ताह से 6 महीने की उम्र वाले बच्चों को ज्यादा होती है। इसलिए एक साल से कम उम्र के शिशुओं को शहद न देने की सलाह दी जाती है
बॉटुलिज्म के लक्षण
सांस लेने में तकलीफ
कब्ज
पलकों का शिथिल या बंद होना
शिशु का सुस्त होना
सिर पर नियंत्रण न होना
शरीर के निचले हिस्से में पैरालिसिस
खाने-पीने में तकलीफ
अधिक थकान
हाथ, पैर और गर्दन की मांसपेशियों में कमजोरी
बच्चो को हो सकती है कई परेशानी
नितीन वर्मा कहते हैं कि शहद आपके शिशु के दांतों को भी नुकसान पहुंचा सकता है या फिर दांत निकलते समय परेशानी पैदा कर सकता है। उनका कहना है कि प्रसव के बाद छह माह तक नवजात बच्चे को मां के दूध के सिवाय अन्य कुछ भी आहार नहीं देना चाहिए। मां का दूध नवजात बच्चे के लिए अमृत सामान होता है और अनेक प्रकार की बीमारियों से नवजात की रक्षा करता है।
बच्चे के लिए मां का दूध क्यों जरूरी ?
मां के दूध में कोलेस्ट्रॉम का उत्पादन होता है जिसमें प्रोटीन, कैल्सियम, एन्टीबॉडी, लिपिड, कार्बोहाइड्रेड, मिनरल और बहुत सारे पौष्टिक तत्व होते हैं जो शिशु के शारीरिक और आंतरिक विकास के लिए ज़रूरी होता है। मां के दूध में पानी की मात्रा इतनी होती है वह शिशु के शरीर में पानी की आवश्यकता को पूर्ण करने में पूरी तरह से सक्षम होता है। इसलिए जन्म से छह महीने तक दूध पिलाना शिशु के लिए बहुत ही आवश्यक माना जाता है। नवजात शिशु का डाइजेस्टिव सिस्टेम बहुत कमजोर होता है इसलिए उस वक्त माँ का दूध ही एक ऐसा पौष्टिक आहार है जो वह आसानी से हजम भी कर सकता है और शरीर को पूर्ण रूप से सारी पौष्टिकता भी मिल जाती है।
कब देना चाहिए शहद?
1 साल के बाद अब जब चाहें बच्चे को शहद दे सकते हैं, क्योंकि इस दौरान बच्चे का अंदरुनी विकास पूर्ण तौर पर हो चुका होता है, वह किसी भी हल्की-भारी चीज को आसानी से हजम कर सकता है। बच्चे के जन्म के वक्त भी अगर आप 1 चुटकी शहद बच्चे को चटा देंगे तो इसमें कोई गलत बात नहीं होगी, मगर बार- बार बच्चे को शहद देने की गलती न करें।