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दशहरा: भगवान ब्रह्मा के परपोते थे रावण, जानिए दशानन से जुड़ी कुछ खास बातें

  • Edited By neetu,
  • Updated: 15 Oct, 2021 12:31 PM
दशहरा: भगवान ब्रह्मा के परपोते थे रावण, जानिए दशानन से जुड़ी कुछ खास बातें

देशभर में दशहरा का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। जगह-जगह पर रावण के पुतले जलाएं जाते हैं। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि रावण एक ब्राह्मण के पुत्र व भगवान ब्रह्मा का परपोता थे? उन्होंने कई सिद्धियां प्राप्त की थी इसलिए उन्होंने नवग्रहों को भी अपने कब्जे में कर लिया था। कहा जाता है कि उनके पास भगवान शिव का कैलाश हिलाने की भी शक्ति थी और उन्होंने शिवजी का वरदान भी हासिल किया था। रावण ने अपने जीवनकाल में कई सुख भोगे लेकिन भगवान श्रीराम के हाथों वध होने के कारण लोगों के मन में उनके प्रति कई तरह के भ्रम है। आज हम आपको रावण जी से जुड़े कुछ फैक्ट्स बताएंगे, जो बातें शायद ही किसी को पता होंगे...

ब्रह्मा के पोते थे रावण

शायद आपको पता ना हो लेकिन रावण भगवान ब्रह्मा के पोते थे। असल में, ब्रह्मा जी के 10 बेटे माने गए थे जिन्हें उन्होंने अपने मन की शक्ति से पैदा किए थे। ब्रह्मा जी के एक बेटे प्रजापति पुलस्त्य के बेटे विश्रवा एक ब्राह्मण थे, जिन्होंने रावण को जन्म दिया। ऐसे में वह ब्रह्मा जी के परपोते हुए।

यहां रावण दहन के दिन मनाया जाता है शोक

देशभर में दशहरे के दिन रावण दहन मनाया जाता है। इसके मगर मध्यप्रदेश के विदिशा के पास नटेरन नामक गांव में रावण दहन पर शोक मनाया जाता है। इस दिन यहां के लोग रावण की बरसी मनाते हैं और पूजा करते हैं। कहा जाता है कि नटेरन असल में मंदोदरी का गांव था। ऐसे में रावण इस गांव का दामाद माना जाता है। इसलिए यहां पर रावण दहन के दिन रावण झांकी सजाई जाती है।

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रावण थे धन के देवता कुबेर के भाई

आपने रावण के भाइयों के तौर पर विभीषण और कुंभकरण का नाम सुना होगा। मगर धन के देवता कुबेर भी रावण के भाई थे। दसअसल, विश्रवा की दो पत्नियां थीं। इनमें से एक इडविडा थीं। वे सम्राट तृणबिन्दु और एक अप्सरा की बेटी थी। दूसरी राक्षस सुमाली एवं राक्षसी ताड़का की पुत्री कैकसी थी। कुबेर जी विश्रवा और इडविडा के पुत्र थे। ऐसे में वे रावण के सौतेले भाई हुए।

मृत्यु के समय पर लक्ष्मण को दिया उपदेश

रावण भगवान शिव का कट्टर भक्त और परम ज्ञानी था इसलिए जब उनकी मृत्यु हुआ तो भगवान राम ने छोटे भाई लक्ष्मण को उनके पैर छूने के लिए कहा। तब मृत्यु के अंतिम पलों में उन्होंने लक्ष्मण को जीवन से जुड़ा ज्ञान का उपदेश दिया था। उन्होंने लक्ष्मण को राज्य, प्रजा, भक्ति आदि चीजें से संबंधित उपदेश दिए।

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विभीषण-रावण भी सौतेले भाई

रावण के भाइयों में विभीषण धर्म को मानने वाला था। उन्होंने ही रावण को मारने का तरीका प्रभु श्रीराम को बताया था। वे असल में, रावण के सौतेले व कुबेर के सगे भाई थे।

संगीत का ज्ञानी था रावण

रावण को मंत्रों-तंत्रों के साथ संगीत का भी खास ज्ञान था। पौराणिक कथाओं अनुसार, रावण जैसा वीणा वादक उस समय कोई नहीं था। साथ ही वे अपनी वीणा की मधुर ध्वनि से हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देते थे।

ग्रहों की चाल बदलने में माहिर था रावण

रावण ने अपने बेटे मेघनाद के जन्म के समय ग्रहों को आदेश दिया था कि वे बच्चे के 11वें भाव में रहें, ताकि वह अमर हो सके। मगर, शनिदेव ने ऐसा करने से मना किया और वे बच्चे के 12वें भाव में रहें। इसी कारण मेघनाद अमर नहीं हो पाया था। इसपर रावण को गुस्सा आया और उन्होंने शनिदेव को बंदी बना लिया। तब देवताओं के आग्रह पर उन्होंने शनिदेव को बंदीमुक्त किया।

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युद्ध कला में माहिर

रावण मार्शियल आर्ट्स और युद्ध कला में भी माहिर थे। वह अपने समय में एक महान योद्धा थे और कोई भी उनसे युद्ध करने में भय महसूस करता है।

प्रभु राम से पहले इन दो लोगों से हारा था रावण

हर कोई समझता है कि शक्तिशाली रावण को पहली व आखिरी बार हार श्रीराम से ही मिली थी। मगर ,धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार रावण को पहले भी दो लोगों को हार का मुंह दिखाया था। वह वानर राज बाली और माहिष्मति के राजा कार्तवीर्य अर्जुन (महाभारत वाले अर्जुन नहीं) से भी हार पा चुके थे।

वैसे तो वह काफी ज्ञानी थे लेकिन उन्होंने अपने जीवन में एक गलती (सीता माता का अपहरण) कर दी, जिसके कारण उनका अंत हुआ। लोगों को इससे यही सीख लेनी चाहिए कि औरत का अपमान करने पर महाबली व परम ज्ञानी रावण को भी अपनी जिंदगी खोने पड़ी इसलिए जीवन में नारी का सम्मान जरूर करना चाहिए।

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