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दूसरे देशों के मुकाबले भारत में ज्यादा सुरक्षित महिलाएं, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 08 Oct, 2020 04:54 PM
दूसरे देशों के मुकाबले भारत में ज्यादा सुरक्षित महिलाएं, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े?

भारत में नारी को देवी का रूप माना जाता है। मगर, देश में जिस तरह से महिलाओं के साथ दुषकर्म और छेड़छाड़ के मामले सामने आ रहे हैं उस तरीके से नारी से यह देवी स्वरूप नारी का अपमान है। ऐसी घटनाओं को देखकर मन में बस यही सवाल उठ रहा है कि क्या सचमुच भारत में औरतें सुरक्षित हैं। उत्तर प्रदेश में हुए गैंगरेप को लेकर देशभर में आक्रोश है और आरोपियों को फांसी चढ़ाने की मांग कर रही है। इसी बीच आईआईएम रोहतक (IIM Rohtak) ने अलग-अलग देशों में सामने आई बलात्कार की घटनाओं पर अध्ययन कर समीक्षा की गई कि भारत महिलाओं के खिलाफ अपराध के प्रबंधन में कैसा है।

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आईआईएम रोहतक के डाटा के मुताबिक को देखकर आप भी यही सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या वाकई भारत महिलाओं के लिए सुरक्षित है। रिसर्चर्स की टीम ने भारत सहित दुनियाभर के कई देशों का डाटा शेयर करते हुए बताया कि किस देश में रेप की दर क्या है। रेप की दर की गणना प्रति 100,000 जनसंख्या पर बलात्कार की घटनाओं की संख्या के रूप में की जाती है। आईआईएम रोहतक ने G-8 देशों, कुछ अन्य विकसित देशों और कुछ विकासशील देशों में बलात्कार की दर को दर्शाया गया है। डेटा को विश्व जनसंख्या समीक्षा वेबसाइट से प्राप्त किया गया था।

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डाटा के मुताबिक विकसित और विकासशील देशों की तुलना में भारत में रेप की दर काफी कम (1.8) है। वहीं संयुक्त राज्य में रेप की दर 27.3 है। यह डाटा सच में हैरान कर देने वाला है। इस डाटा में भारत 28वें नंबर पर है यानि कि देश में महिलाओं की स्थिति उतनी खराब नहीं जितनी दुनियाभर के अन्य देशों में हैं। सबसे ज्यादा महिला के साथ बुरा व्यवहार साउथ अफ्रीका में होता है और दूसरे नंबर पर स्वीडन, तीसरे पर ऑस्ट्रेलिया है। डाटा के मुताबिक भारत महिलाओं की खराब स्थिति के लिए टॉप 10 में भी नहीं है। 

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भारत में बलात्कारी को सजा

आईआईएम रोहतक टीम के मुताबिक उन्होंने अमेरिकी डेटा के साथ भारतीय डेटा की तुलना करने का प्रयास किया। RAINN (बलात्कार, दुर्व्यवहार और अनाचार राष्ट्रीय नेटवर्क) संयुक्त राज्य का सबसे बड़ा यौन-विरोधी संगठन है। डाटा के मुताबिक अमेरिका में केवल 9% बलात्कारियों पर मुकद्दमा चलाया जाता है और केवल 3 से 6% बलात्कारी एक दिन जेल में बिताते हैं। वहीं भारत में, सजा की दर लगभग 27% है और यहां तो दोषियों को फांसी तक दे दी जाती है।

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भारत में महिलाओं पर सर्वे

वहीं भारत में महिलाओं की स्थिति जाने के लिए टीम ने महिलाओं पर एक सर्वे भी किया। भारत में 1004 महिलाओं पर एक सर्वे किया गया। सर्वे में शामिल सभी महिलाएं शहरों से थीं। यह सर्वे 21 से 35 साल की उम्र की महिलाओं पर किया गया।

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सर्वे के मुताबिक 74.5% महिलाओं ने कहा कि वे किसी भी यौन हिंसा की सूचना अधिकारियों को तुरंत देंगी। सर्वेक्षण के दो दिलचस्प निष्कर्ष यह हैं कि लगभग 68% महिलाओं ने कहा कि वे इस मामले को एक गैर-कानून-प्रवर्तन अधिकारी (मित्र / परिवार / रिश्तेदार / परिचित / लोकपाल) को रिपोर्ट करेंगी। इसके अलावा 21.4% ने कहा कि ऐसी घटना होने पर रिपोर्ट करने के लिए उनको परिवार का साथ नहीं मिलेगा।

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ऐसे में इस डाटा से समझा जा सकता है कि भारत महिलाओं के लिए उतना असुरक्षित नहीं है जितना माना जाता है। अब भारत में महिलाएं अपने पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाती हैं और इंसाफ के लिए लड़ती भी हैं। इतना ही नहीं देश में रेप जैसी घटनाओं पर कड़ी सजा का प्रावधान है इसका सबसे बड़ा उदाहरण दिल्ली का निर्भया केस है। निर्भया के सभी आरोपियों को मार्च 2020 में फांसी दी गई थी।

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