सावन का पावन महीना शुरु हो चुका है। आज सावन का पहला सोमवार है। इस बार का सावन बहुत ही खास है क्योंकि 19 सालों के बाद इस बार सावन एक महीने ज्यादा होने वाला है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के कृपा पाने के लिए भक्त इस दौरान कई मंत्रों का जाप करते हैं। उन्हीं मंत्रों में से एक है महामृत्युंजय मंत्र। इस मंत्र में बहुत ही शक्ति होती है। इसके जाप मात्र से ही भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं। इसके अलावा यह मंत्र भय, रोग, कष्ट सब तरह की परेशानियां दूर करता है। तो चलिए आज आपको बताते हैं कि इस मंत्र का क्या अर्थ होता है....
क्या होता है महामृत्युंजय मंत्र?
महामृत्युंजय मंत्र को मृत्यु जितने वाला मंत्र और त्रयंबकम मंत्र कहा जाता है। यह त्रयंबक त्रिनेत्रों वाला, रुद्र के विशेषण को संबोधित होता है। यह श्लोक यर्जुवेद में भी शामिल होता है। गायत्री मंत्र के साथ यह समकालीन हिंदू धर्म का सबसे प्रतिष्ठित मंत्र माना जाता है। शिव को मृत्युंजय के रुप में समर्पित महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है। इसे मृत्यु पर विजय पाने वाला महा मृत्युंजय मंत्र भी कहते हैं।
और भी कई नामों से जाना जाता है मंत्र
इस मंत्र को शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र कहते हैं। शिव की तीन आंखों की ओर इशारा करता हुआ यह मंत्र त्रयंबकम मंत्र और मृत संजीवनी मंत्र भी कहते हैं। ऋषि मुनियों ने इस मंत्र को वेद का हृदय कहा है। चिंतन और ध्यान करने के लिए बाकी मंत्रों के साथ इसका जाप करना बेहद लाभकारी माना जाता है।
ये है मंत्र
ऊं त्रयम्बंक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
मंत्र का अर्थ
इस मंत्र का अर्थ है कि हम त्रिनेत्रीय वास्तविकता का चिंतन करते हैं जो जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित करता है और वृद्धि करता है। ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग हों, अमरत्व से नहीं बल्कि मृत्यु से हैं। वहीं इस मंत्र का पूर्ण अर्थ है कि समस्त संसार के पालनहार तीन नेत्र वाले शिवजी की हम आराधन करते हैं। विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव मृत्यु और मोक्ष से हमें मुक्ति दिलवाएं। महामृत्युंजय मंत्र के अक्षरों का अर्थ महामृत्युंजय मंत्र का वर्ण पद वाक्यक चरण आधी ऋचा और सम्पूर्ण ऋचा इन छ अलग-अलग अभिप्राय है। ओम त्रयंबकम मंत्र के 33 अक्षर हैं जो कि महार्षि वशिष्ठ के अनुसार, 33 कोटि देवताओं के घोतक है। इन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। इन तैंतीस कोटी देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियां महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती हैं। इस मंत्र का जाप करने वाला प्राणी दीर्घायु तो होता है साथ में नीरोग, ऐश्वर्य और धनवान भी होता है। मंत्र का पाठ करने वाला हर व्यक्ति सुखी एवं समृद्धि हासिल करता है और भगवान शिव की अमृतमयी कृपा उस पर निरंतर बरसती रहती है।
मंत्र जपते समय बरतें ये सावधानियां
. मंत्र का उच्चारण करते समय साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।
. जाप के लिए हमेशा रुद्राक्ष की माला का ही इस्तेमाल करें।
. जाप के दौरान भगवान शिव जी की प्रतिमा, शिवलिंग या फिर महामृत्युंजय यंत्र साथ में रखें।
. जप करते समय हमेशा अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर रखें।
. मंत्र का जाप एक निर्धारित जगह में ही करें। रोजाना अपनी जगह न बदलें।