देश में कोरोना की दूसरी लहर अब पहले के मुताबिक काफी थमती हुई नज़र आ रही हैं। इसकी एक वजह एक यह भी है कि सरकार द्वारा युद्ध स्तर पर वैक्सीनेशन अभियान का चलाना। वहीं कोरोना की तीसरी लहर के आने से पहले सरकार का पूरा फोकस इस बात पर है कि ज्यादा से ज्यादा लोग को वेक्सीन लगाए जाए। हालांकि इस बीच सवाल यह भी है कोरोना का टीका कितने दिनों तक असरदार रहेगा। जिसे लेकर एक नई स्टडी सामने आई हैं।
एंटीबॉडी और इम्यून मेमोरी छह महीने से एक वर्ष तक बनी रहती है-
एक नए अध्ययन के अनुसार, कोविड -19 संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों में एंटीबॉडी और इम्यून मेमोरी 6 महीने से एक वर्ष तक बनी रहती है, और टीकाकरण होने पर वे और भी सुरक्षित हो जाते हैं। रॉकफेलर यूनिवर्सिटी और न्यूयॉर्क में वेइल कॉर्नेल मेडिसिन की एक टीम के नेतृत्व में शोधकर्ताओं का ये निष्कर्ष, सोमवार को प्रकाशित किया गया था। इससे पता लगा है कि Sars-Cov-2 की इम्यूनिटी लंबी हो सकती है।
अध्ययन में फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन लगाने वाले लोग भी थे शामिल-
बतां दें कि शोधकर्ताओं ने 63 लोगों पर इसका अध्ययन किया है, यह वह लोग है जो संक्रमण से उबरे 1.3 महीनें, 6 महीनें और 12 महीनें हो चुके थे। इनमें से 26 लोगों को फाइजर-बायोएनटेक या मॉडर्न वैक्सीन की एक डोज मिली है। अध्य्यन में कहा गया कि टीकाकरण के अभाव में, Sars-Cov-2 के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) के प्रति एंटीबॉडी रिएक्टिविटी, गतिविधि को निष्क्रिय करना और आरबीडी-स्पेसिफिक मेमोरी बी सेल्स की संख्या 6 से 12 महीनों तक स्थिर रहती है।
टीकाकरण कोरोना के गंभीर वैरिएंट को भी हरा दे रही है-
अध्य्यन के अनुसार, जिन लोगों को टीका मिला है वे वायरस को बेअसर कर दे रहे हैं। इनमें एंटीबॉडी इतनी बढ़ जा रही है कि कोरोना के गंभीर वैरिएंट को भी हरा दे रही है। नेचुरल इंफेक्शन के साथ इम्यून रेस्पोंस अविश्वसनीय रूप से 12 महीने तक चलता है। वहीं टीकाकरण के बाद immune response काफी मजबूत हो जाती है।