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ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरुकता कम करेगी बीमारी का जोखिम, Research में हुआ खुलासा

  • Edited By palak,
  • Updated: 27 Jun, 2023 11:38 AM
ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरुकता कम करेगी बीमारी का जोखिम, Research में हुआ खुलासा

आज दुनिया भर से कई सारी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से जुझ रही हैं। इसके बारे में पर्याप्त जानकारी ना होने के कारण महिलाओं को इस बीमारी का सामना करना पड़ता है। हाल ही में हुए अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर में स्तन कैंसर से जुझ रही महिलाओं के मौत के मामलों में बीते दशक के दौरान कमी आई है। 1990 के दशक की तुलना में बीते दशक के मुकाबले ब्रेस्ट कैंसर के कारण मौत के मामले लगभग दो तिहाई कम थे। आंकड़ों के कम होने का कारण है कि महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरुक  किया गया है। ब्रिटेन में दस साल तक हुए शोध में यह बात सामने आई है कि जागरुकता फैलाने से स्तन कैंसर का जोखिम कम हुआ है।

क्या हुआ अध्ययन में साबित? 

अध्ययन में यह बात सामने आई है कि 1990 के दशक में स्तन कैंसर के इलाज के बाद अगले पांच सालों में मौत का जोखिम सिर्फ 14.4 फीसदी था वहीं 2010-15 में यह जोखिम 4.9% रह गया। यह अध्ययन बीजोएम जर्नल में प्रकाशित हुआ है। ऑक्सफॉर्ड में हुए इस शोध में अध्ययन में  जनवरी में 1993 और दिसंबर 2015 के बीच स्तन कैंसर का इलाज कराने वाली 5,12,447 महिलाओं को शामिल किया गया था।इसके अलावा शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में राष्ट्रीय कैंसर पंजीकरण डाटा के 2020 तक के आंकड़ों का भी इस्तेमाल किया है। 

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हर उम्र की महिलाओं का जोखिम होगा कम 

शोधकर्ताओं के अनुसार, पिछले 20 सालों के दौरान स्तन कैंसर के कारण मृत्यु दर में कमी आई है परंतु शोध से पता चला है कि मौत का जोखिम हर उम्र की महिलाओं के लिए कम हुआ है। इलाज के प्रकार में भी जागरुकता का प्रभाव पड़ा है चाहे कैंसर का इलाज स्क्रीनिंग के जरिए हो या स्क्रीनिंग का इस्तेमाल न किया गया हो परंतु जागरुकता फैलाने से इस खतरनाक कैंसर का जोखिम कम हुआ है।  

ऐसे फैलाई जा रही है लोगों में जागरुकता 

स्तन कैंसर के प्रतिलोगों में बीते तीन दशकों से जागरुकता फैलाई जा रही है। अक्टूबर महीने को स्तन कैंसर जागरुकता माह के रुप में बीते 37 सालों से मनाया जा रहा है। ब्रेस्ट कैंसर की थीम भी गुलाबी रंग की है इसलिए इसे गुलाबी महीना भी कहा जाता है। इसके अलावा साल 2009 से लगातार ऑस्ट्रेलिया के सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में नए साल की शुरुआत में एक टेस्ट मैच खेला जाता है जिसे पिंक टेस्ट कहते हैं।

एक्सपर्ट्स ने बढ़ाई जांच

शोधकर्ताओं ने बताया कि 1990 के दशक से स्तन कैंसर के प्रति जागरुकता बढ़ाई है। इसके अलावा महिलाओं के लिए हो रही नियमित जांच में भी इजाफा हुआ है। शोधकर्ताओं का मानना है कि अध्ययन के साथ रोगियों के इलाज में बेहतर जानकारी मिलेगी। 

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इतना है भारत में जीवन दर 

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंघान परिषद् (आईसीएमआर) के अनुसार, देश में करीबन 40 फीसदी युवा महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से जुझ रही हैं। भारत में स्तन कैंसर रोगियों के जीवित रहने का दर सिर्फ 66 से 70 फीसदी तक है वहीं विकसित देशों में यही जीवन दर 99 फीसदी तक पहुंच गया है। वहीं आंकड़ों की मानें तो देश में हर चार मिनट में एक महिला में स्तन कैंसर का पता चलता है। 

ऐसे कम हुए आंकड़े

साल 1993-99 तक मौत का खतरा 14.4 था, 2000-2004 तक 11.2 मौत का खतरा था, साल 2005-2009 तक मौत का खतरा 9.1 था वहीं साल 2010 से 2015 तक मौत का खतरा 4.9 था।  

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण 

. स्तन या अंडरआर्म्स में गांठें पड़ना
. ब्रेस्ट के कुछ हिस्सों का मोटा पड़ना और सूजन आना
. स्तन की त्वचा में जलन होते रहना 

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. निप्पल या स्तन में लाल धब्बे दिखाई देना
. निप्पल में खिंचाव महसूस होना
. निप्पल से खून आना 
. स्तन की शेप और साइज बदलना
. ब्रेस्ट के किसी हिस्से में दर्द और बिना मतलब के दर्द होना 

यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखता है तो एकबार एक्सपर्ट्स को जरुर दिखाएं। सही समय पर इलाज करवाकर आप इस खतरनाक बीमारी से निजात पा सकते हैं। 

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