नारी डेस्क: नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा की आराधना का विशेष महत्व है। 2024 की शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है। यह पर्व माता के नौ रूपों की पूजा के लिए जाना जाता है। इस दौरान भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न तरह से पूजा करते हैं, जिनमें फूलों का अर्पण प्रमुख है। फूल न सिर्फ सुंदरता का प्रतीक हैं, बल्कि इनके माध्यम से भक्त अपने भावनाओं को माता रानी तक पहुँचाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ फूल ऐसे हैं, जिन्हें चढ़ाना अशुभ माना जाता है? इन फूलों को माता रानी को अर्पण करने से न केवल पूजा निष्फल हो सकती है, बल्कि आपकी जिंदगी में नकारात्मक प्रभाव भी आ सकता है।
मां दुर्गा का प्रिय फूल
माता दुर्गा को अनेक फूल पसंद हैं, लेकिन सबसे प्रिय फूल है गुड़हल का लाल फूल। इसे देवी के आराधना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। भक्त जब गुड़हल के लाल फूल अर्पित करते हैं, तो माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं और साधक का कल्याण करती हैं। विशेष रूप से बंगाल में, दुर्गा पूजा के दौरान बिना गुड़हल फूल के पूजा को अधूरा माना जाता है। इसके अलावा, कमल, गुलाब, मोगरा, चमेली, गेंदा और जूही के फूल भी मां को बेहद प्रिय हैं। ये फूल माता रानी को अर्पित करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
मां दुर्गा को न चढ़ाएं ये 7 फूल
पूजन के दौरान पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। परंतु कुछ फूल ऐसे हैं जिन्हें भूलकर भी मां दुर्गा को अर्पित नहीं करना चाहिए। ये फूल देवी को नाराज़ कर सकते हैं। यहां हम आपको बताते हैं उन 7 फूलों के बारे में, जिन्हें चढ़ाने से माता रुष्ट हो सकती हैं
1. मदार (आक)
2. धतूरा
3. हरसिंगार
4. कनेर
5. तुलसी
6. बेल
इन फूलों को शास्त्रों में वर्जित बताया गया है और इन्हें मां के चरणों में अर्पित करने से संकट आ सकता है। पूजा के दौरान अगर इनका अर्पण किया जाता है, तो मां दुर्गा प्रसन्न नहीं होतीं और इसके विपरीत नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव जीवन में आ सकता है।
मां दुर्गा को फूल चढ़ाने के नियम
मां दुर्गा की पूजा में फूल चढ़ाने के कुछ विशेष नियम होते हैं। ये नियम शास्त्रों में उल्लेखित हैं और इन्हें सही तरीके से पालन करने पर ही पूजा सफल मानी जाती है। यहां 3 मुख्य नियम बताए गए हैं, जिनका पालन आवश्यक है:
ताजे और शुद्ध फूल
मां को हमेशा ताजे और सुगंधित फूल चढ़ाने चाहिए। मुरझाए हुए, धूल भरे या कीड़ों से दूषित फूल अर्पित करने से बचना चाहिए। जो फूल टूटे या बिखरे हुए होते हैं, उन्हें अर्पित नहीं करना चाहिए। खासकर सूंघे हुए फूल या जमीन पर गिरे फूल चढ़ाने की भूल नहीं करनी चाहिए। फूलों को माता के चरणों में विधि-विधान से अर्पित करना चाहिए। मन से निष्ठा और श्रद्धा के साथ यह कार्य करना बेहद महत्वपूर्ण है।
मां दुर्गा को फूल चढ़ाने में इन गलतियों से बचें
फूलों का चयन करते समय ध्यान रखें कि फूल गंदे स्थानों पर उगे न हों। फूल बासी या मुरझाए हुए न हों। सूंघे हुए या जमीन पर गिरे फूल न अर्पित करें। बहुत तीव्र गंध वाले फूल भी माता को चढ़ाने से बचें।
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा में फूल अर्पित करने से माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं, लेकिन कुछ विशेष फूलों से दूरी बनाकर रखना चाहिए। पूजा करते समय शुद्धता और विधि का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। जब भक्त सही ढंग से और श्रद्धा के साथ फूल अर्पित करते हैं, तो मां दुर्गा उनकी सारी इच्छाएं पूरी करती हैं।
मां दुर्गा को फूल चढ़ाने के 3 महत्वपूर्ण नियम
1. ताजे फूलों का प्रयोग माता रानी को हमेशा ताजे और सुगंधित फूलों का प्रयोग करें। मुरझाए हुए या सूखे फूलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
2. शुद्ध फूल फूलों को साफ कर ही चढ़ाना चाहिए। उनमें कोई कीड़ा या मिट्टी नहीं होनी चाहिए।
3. विधि-विधान से चढ़ाएं फूलों को विधि-विधान से निष्ठापूर्वक और मन से चढ़ाना चाहिए।
मां दुर्गा के प्रिय फूल
प्रचलित रिवाजों और परंपराओं के अनुसार, माता रानी को भांति-भांति के फूल चढ़ाए जाते हैं। भक्त और साधक जब कमल, चंपा, चमेली, गुलाब, मोगरा, गेंदा और जूही के फूल देवी मां को अर्पित करते हैं, तो मां बेहद प्रसन्न होती हैं। लेकिन गुड़हल का लाल फूल मां दुर्गा को सबसे अधिक पसंद है। गुड़हल के फूलों की माला अर्पित करने माता रानी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और साधक का कल्याण करती हैं। बंगाल की दुर्गा पूजा बिना गुड़हल फूल के अधूरी मानी जाती है।