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असम के बिहू नृत्य ने रचा इतिहास, गिनीज वर्ल्ड बुक में दर्ज हुई Dance Performance

  • Edited By palak,
  • Updated: 16 Apr, 2023 12:48 PM
असम के बिहू नृत्य ने रचा इतिहास, गिनीज वर्ल्ड बुक में दर्ज हुई Dance Performance

भारत के हर राज्य के अपने रीति-रिवाज हैं।  ऐसे ही नए साल पर असम में रोंगाली पर्व के अवसर पर किया जाने वाला लोकनृत्य बिहू और पांरपरिक संगीत ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवा लिया है। इस बार 13 अप्रैल को गुवाहटी स्थित सरुसजई स्टेडियम में बिहू डांसर्स और ड्रमर्स की परफॉर्मेंस हुई जिसमें बिहू कलाकारों ने दो अलग-अलग वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए हैं। 

एक ही जगह पर बनाए दो रिकॉर्ड 

पहला रिकॉर्ड एक ही जगह पर सबसे बड़ी एथनिक डांस परफॉर्मेंस में दिया जबकि वहीं दूसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड एक ही जगह पर सबसे बड़ी ट्रेडिशनल म्यूजिक परफॉर्मेंस के साथ दिया है। करीबन 11304 लोक नर्तकों और 2548 ढोल वादकों ने इस उपलब्धि हासिल की थी। 

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मुख्यमंत्री ने जताई खुशी 

गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने के बाद सीएम सरमा ने खुशी बयां की है। उन्होंने लिखा कि - 'हमने आज सरुसाजई में दो विश्व रिकॉर्ड के लिए प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इसमें करीबन 11304 डांसर्स और ड्रमर्स ने बिहू परफॉर्म किया जो आज से पहले कभी नहीं हुआ। 2548 धुलिया ने 1356 ढोल के पुराने विश्व रिकॉर्ड को तोड़ते हुए प्रदर्शन किया ग्रेट वर्क टीम असम'। 

पीएम मोदी भी हुए थे शामिल 

आपको बता दें कि असम के इस जबरदस्त डांस परफॉर्मेंस से पहले पीएम मोदी भी असम में गए थे। असम के मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि - 'आदरणीय प्रधानमंत्री के असम दौर की पहली शाम पर आज के मेगाबिहू रिहर्सल की यादगार झलकियां शेयर कर रहा हूं। ऐसा लगता है कि हमने आज गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह बना ली है।' रिपोर्ट्स की मानें तो बिहू कलाकार लंबे समय से इस कार्यक्रम के लिए अभ्यास कर रहे थे। कलाकारों को इसमें शामिल करने के लिए पूरे राज्यभर ने ऑडिशन लिए गए थे। 

क्या होता है बिहू? 

असम में बिहू साल में तीन बार मनाया जाता है इसे रोंगाली बिहू, भोगली बिहू और कोंगाली बिहू भी कहा जाता है। इनमें से सबसे ज्यादा रोंगाली बिहू का महत्व माना जाता है। वहीं बोहाग बिहू असम में नए साल की शुरुआत के रुप में मनाया जाता है। यह त्योहार फसल की कटाई को भी दर्शाता है। पंजाब में इसी फसल कटाई के अवसर को बैसाखी के रुप में मनाते हैं। 

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