हिंदू धर्म में किसी भी मंत्र का उच्चारण करने से पहले ऊं लगाया जाता है। मंत्र की शुरुआत भी ऊं से होती है। ओम शब्द सर्वप्रथम उच्चारित किया जाता है। यह तीन शब्दों से मिलकर बना हुआ है। अ, उ और म। इस एक शब्द को पूरी सृष्टि का प्रतीक माना जाता है। इस मंत्र का उच्चारण करने से सारी नेगेटिविटी दूर होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंत्र का उच्चारण क्यों किया जाता है...
ऊं शब्द लगाने से बड़ जाती हैं मंत्र की शक्ति
यह तीन शब्दों के मिलाप से बना है। ऊं को सृष्टि का प्रतीक माना जाता है। हर मंत्र से पहले इसका उच्चारण किया जाता है। इसके पीछे कई कारण है जिसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है। भगवद्गीता की मानें तो मंत्र में पहले ऊं लगाने से पुण्यकर होता है। इसके अलावा ऊं मंत्र का जाप करने से मन की भी शुद्धि होती है और मंत्रोच्चारण में गति आती है और यह सिद्ध होता है। मंत्र की शक्ति और तीव्रता ऊं लगाने से कई गुणा बढ़ जाती है।
नहीं लगता कोई दोष
इसके अलावा मंत्र की शक्ति जागती है जिससे आपकी प्रार्थना भगवान तक बहुत ही जल्दी पहुंचती है। इसके अलावा ऊं लगाकर मंत्र पढ़ने से हर इच्छा पूरी होती है। यदि मंत्र पढ़ते समय कोई गलती हो जाए तो ऊं के उच्चारण से वह मानी नहीं जाती। मंत्र के आगे ऊं लगाने से मंत्र पढ़ने पर कोई गलती दोष भी नहीं लगता।
कठोपनिषद में भी है इस बात का उल्लेख
श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार, किसी भी मंत्र से पहले यदि ओम का उच्चारण किया जाए तो व्यक्ति को अत्यंत पुण्य मिलता है। वहीं कठोपनिषद की मानें तो ओम शब्द में वेदों का सार, तपस्वियों और योगिोंय का सार समाया हुआ है ऐसे में जब भी कोई मंत्र का जाप करें तो ओम जरुर लगाएं ।
नोट: ऊपर बताई गई बातें सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।