नारी डेस्क: जानी-मानी अदाकारा निम्रत कौर इन दिनों अपने पिता, शहीद मेजर भूपेंद्र सिंह के मेमोरियल के उद्घाटन के कारण चर्चा में हैं। इस मेमोरियल का उद्घाटन 30 साल बाद उनके परिवार ने किया, जो एक भावनात्मक पल था। निम्रत ने सोशल मीडिया पर इस खास मौके की कुछ तस्वीरें साझा की हैं, जिनमें वह अपने पिता के मेमोरियल के पास खड़ी हैं, साथ ही उनकी मां और बहन भी मौजूद हैं।
मेजर भूपेंद्र सिंह
भूपेंद्र सिंह का जन्म 25 अक्टूबर 1952 को राजस्थान के श्री गंगानगर जिले के मोहनपुरा में हुआ था। वह भारतीय सेना में मेजर के पद पर तैनात थे। कश्मीर में उनकी पोस्टिंग के दौरान, आतंकवादियों ने उन्हें किडनैप कर लिया था। यह घटना 1994 की है, जब निम्रत सिर्फ 11 साल की थीं। आतंकियों ने उनके पिता को छोड़ने की मांग की, लेकिन एक हफ्ते बाद उनकी हत्या कर दी गई।
आतंकवादियों की किडनैपिंग
निम्रत कौर ने एक इंटरव्यू में इस भयानक घटना के बारे में बताया। उन्होंने कहा, "मेरे पिता को किडनैप करने के बाद आतंकियों ने हमारी सुरक्षा को खतरे में डाल दिया था। यह एक बहुत कठिन समय था, और हम सभी उस दर्द को अब तक महसूस करते हैं।" उनके पिता के बलिदान ने न केवल उनके परिवार को प्रभावित किया, बल्कि देशभर में भी एक बड़ा असर डाला।
मेमोरियल का उद्घाटन
30 साल बाद, मेजर भूपेंद्र सिंह के सम्मान में बनाए गए मेमोरियल का उद्घाटन उनके परिवार ने किया। निम्रत कौर इस समारोह में मौजूद थीं और उन्होंने इस पल को अपने लिए बेहद खास बताया। सोशल मीडिया पर शेयर की गई तस्वीरों में वह आर्मी ऑफिसर्स के साथ भी नजर आ रही हैं। उन्होंने इस मौके पर एक भावुक नोट भी लिखा, जिसमें उन्होंने अपने पिता के बलिदान और देश के प्रति उनकी सेवा को याद किया।
यूजर्स की प्रतिक्रियाएं
निम्रत के इस पोस्ट पर यूजर्स ने अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं। कई लोगों ने लिखा कि यह गर्व की बात है और देश हमेशा उनके पिता को याद रखेगा। एक यूजर ने लिखा, "दुआएं और सैल्यूट," जबकि दूसरे ने कहा, "यह बहुत इमोशनल पल है।" ऐसे कई कमेंट्स हैं जो निम्रत के इस विशेष क्षण के प्रति सम्मान दिखाते हैं।
निम्रत कौर के शहीद पिता मेजर भूपेंद्र सिंह की कहानी केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह हमारे देश के शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि है। उनका बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि देश के लिए अपने जीवन की आहुति देने वाले वीर सपूतों को कभी नहीं भुलाया जा सकता। निम्रत की यह पहल न केवल उनके पिता की याद को जीवित रखती है, बल्कि युवा पीढ़ी को भी प्रेरित करती है कि वे अपने देश की सेवा में तत्पर रहें।