लड़कियों के साज-श्रृंगार में नथ का खास महत्व होता है। आजकल के फैशन में नथ एक स्टाइल सैंस बन गई है। बाजार में आपको कई तरह की नथ के डिजाइन्स मिल जाएंगे। खासकर भारतीय परंपरा में नथ का बहुत ही महत्व होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी के दिन नथ क्यों पहनी जाती है? नथ पहनने का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी होता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि शादी में नथ क्यों पहनी जाती है...
सुहाग की होती है पहचान
नाक में नथ पहनाने को सुहाग की निशानी माना जाता है। इसलिए जहां शादी में नथ के बिना सोलह श्रृंगार अधूरा लगता है। दक्षिण भारतीय परंपरा में लड़कियां शादी के समय नाक के दाएं तरफ नथ पहनती हैं। वहीं उत्तर-भारत में लड़कियां नाक की बाएं तरफ नथ पहनती है। नथ पहनने के पीछे फैशन के साथ ही धार्मिक और स्वास्थ्य कारण भी होता है। नथ का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ मिलता है। हिंदू धर्म की परंपरा के अनुसार, नथ लड़कियां शादी के दिन ही पहनती हैं।
बढ़ती है खूबसूरती
नथ पहनने से खूबसूरती बढ़ती है। लहंगे पर नथ पहनने से गजब लुक आथा है। महिलाएं कोशिश करती हैं कि किसी पार्टी या फिर समारोह में सबसे सुंदर दिखने के लिए नथ पहनना पसंद करती है।
मासिक धर्म की परेशानियों से राहत
नथ पहनकर लड़कियां मां पार्वती के सम्मान दर्शाती हैं। आयुर्वेद में नथ पहनने को पीरियड से जुड़ी समस्या बताई गई है। आयुर्वेद के अनुसार, नथ नाक की दाएं या बाएं तरफ पहनी जाती है। उस प्रमुख हिस्से में हुए छेद के जरिए महिलाओं को मासिक धर्म की समस्याओं से राहत मिलती है।
सोलह श्रृंगार का होती है हिस्सा
शादीशुदा महिलाओं में सोलह श्रृंगार की बहुत ही अहमियत है। चूड़ियां, बिछिया से लेकर मांगटीका सोलह श्रृंगार में आती हैं। नथ भी इसी का हिस्सा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पहले शादीशुदा महिलाएं ही नाक छिदवाती थी, परंतु कुंवारी लड़कियां में भी इसका चलन बढ़ गया है।