विंध्य धाम में चैत्र नवरात्र की कालरात्रि तिथि पर विंध्य पर्वत पर महानिशा का पूजन करने के लिए साधकों का हुजूम उमड़ पड़ा है। साधक पूरे विधि-विधान से अर्ध रात्रि में रामगया घाट भैरव कुंड, अकोढी गांव में स्थित कंकाल काली सहित अष्टभुजा पहाड़ की कंदराओं गुफाओं में महानिशा में पूजन करेंगे। विंध्य के पहाड़ पर जगह जगह बैठे साधकों ने यंत्र तंत्र मंत्र के माध्यम से साधना करने के लिए डेरा जमा लिया है।
महानिशा पूजा को देखते हुए पहाड़ पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। विंध्याचल धाम आध्यात्मिक साधना के केंद्र के रूप में पूरे विश्व में प्रसिद्ध है वही दूसरी ओर तंत्र साधकों के लिए आस्था का केंद्र है। मारण, उच्चाटन, सम्मोहन सहित अन्य तंत्र साधना को जगाने के लिए साधक यहां जुटते हैं। पंचमकार मांस, मदिरा, महिला मैथुन साधना के साधन रहते रहे हैं। हालांकि प्रशासन की सक्रियता से पंचमकार साधना पर रोक है पर चोरी छिपे इस तंत्र साधना की बात कही जाती है।
सोमवार रात्रि में विंध्य पर्वत पर अनूठा द्दश्य रहेगा । पहले से पहाड़ पर डेरा डाले तंत्र साधकों की साधना रोंगटे खड़े करने रहती है। नवरात्र की सप्तमी तिथि पर महानिशा की पूजा करने के लिए विंध्याचल की अष्टभुजी पहाड़ पर साधकों का जमावड़ा सुबह से लग जाता है। देश के कोने-कोने से साधक यहां आते है।अपरा विद्या के इन साधको की साधना करते देखना किसी रोमांच से कम नही होता है ।
विशेष परिधान धारण करने वाले इन साधको को आसानी से पहचाना जा सकता है। इनके साधना स्थल भैरव कुंड ,राम गया घाट और अष्टभुजा पहाड़ की अंदर कंदरा और गुफाओं के साथ तारा मंदिर रामगया घाट का श्मशान होता है। महानिशा का पूजन देखने के लिए विंध्याचल सहित मिर्ज़ापुर नगर के लोग भी बड़ी संख्या में पहाड़ पर पहुंचते हैं।
सतमी तिथि महानिशा रात्रि की रात अष्टभुजा पहाड़ पर पूरी रात चहल पहल का माहौल बना रहता है। वैसे भी आम दर्शनार्थी महानिशा में त्रिकोण करने वालो की आम दिनों से बहुत अधिक होती है। पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। घुड़सवार पुलिस पूरे पहाड़ पर चक्रमण में लगी है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है।