23 NOVSATURDAY2024 6:40:22 AM
Nari

इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज कराने वाली हरियाणा की दो बेटियों का जन्मदिन आज, विश्व स्तर पर बना चुकी हैं पहचान

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 17 Mar, 2023 12:27 PM
इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज कराने वाली हरियाणा की दो बेटियों का जन्मदिन आज, विश्व स्तर पर बना चुकी हैं पहचान

भारत के इतिहास में 17 मार्च का दिन हरियाणा में खासकर बहुत अहम है क्योंकि इस दिन राज्य की दो बेटियों ने जन्म लिया, जिन्होनें विश्व स्तर पर अपने परिवार और राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया। पहली हैं अंतरिक्ष की ऊंचाइयां नापने वाली कल्पना चावला और दूसरी है बैडमिंटन जगत की दिग्गज खिलाड़ी सायना नेहवाल। इन दोनों ने अपनी उपलब्धियों से विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई। आइए डालते हैं दोनों की उपलब्धियों पर एक नजर...

 कल्पना चावला

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म आज ही के दिन 1962 में हुआ था। कल्पना का जन्म करनाल  में हुआ था। वह पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाली पहली महिला थीं। कल्पना ने एक बार नहीं, बल्कि दो बार अंतरिक्ष की यात्रा की थी। पहली बार वो 19 नवंबर 1997 को कोलंबिया स्पेस शटल (STS-87) के जरिए अंतरिक्ष मिशन शुरू किया था। इस बीच उन्होंने स्पेस में करीब 16 दिन बिताए थे। लेकिन दूसरी उड़ान उनकी जिंदगी की आखिरी उड़ान बनकर रह गई।

PunjabKesari

 1 फरवरी, 2003 को नासा का अंतरिक्ष यान 7 चालक दल के सदस्यों के साथ पृथ्वी पर लौट रहा था और शटल कोलंबिया पृथ्वी पर लौटते समय वायुमंडल में प्रवेश करते ही दुर्घटना का शिकार हो गया। इस हादसे में सभी सातों सदस्यों की जान चली गई थी। जब कभी भी अंतरिक्ष, महिला एस्ट्रोनॉट का नाम आएगा कल्पना चावला का नाम जरूर याद किया जाएगा।

PunjabKesari

सायना नेहवाल

भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल आज अपना 33 वां जन्मदिन मना रही हैं। उनका जन्म हिसार में हुआ था। कहा जाता है कि जब साइना का जन्म हुआ था तो उनकी दादी ने एक महीने तक उनका चेहरा नहीं देखा था। ऐसा इसलिए कि उनकी दादी को घर में बेटा चाहिए था। हालांकि साइना की मां उषा नेहवाल ने हमेशा उनका साथ दिया। घर-परिवार और बाहरी दुनिया के तानों को अनसुना कर साइना की मां ने अपनी बेटी को चैंपियन बनाया, जिसे आज पूरा देश सलाम करता है। बहुत कम लोगों को पता है कि साइना की मां भी बैडमिंटन प्लेयर थी। अपनी मां के नक्शे कदम पर चलते हुए सायना ने सिर्फ आठ साल की उम्र में बैडमिंटन रैकेट थाम लिया। हिसार में बैडमिंटन की ट्रेनिंग लेने के बाद साल 2009 में साइना ने इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब जीतकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। वह एकमात्र भारतीय हैं जिन्होंने बीडब्ल्यूएफ प्रमुख व्यक्तिगत स्पर्धाओं - ओलंपिक, बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप और बीडब्ल्यूएफ विश्व जूनियर चैंपियनशिप में से प्रत्येक में कम से कम एक पदक जीता है। वह ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।

PunjabKesari


साइना नेहवाल का फॉर्म मौजूदा समय में बेशक उनका साथ नहीं दे रहा हो लेकिन करियर के शुरुआत में उनके आगे बड़ी से बड़ी खिलाड़ी भी नहीं ठहर पाती थी। यही कारण है कि उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए गोल्ड जीता। साइना नेहवाल भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में दो गोल्ड मेडल जीतने वाली इकलौती महिला खिलाड़ी हैं। उन्होंने साल 2010 और 2018 में सिगल्स में गोल्ड जीता। 2018 में ही उन्होंने मिक्स्ड प्रतियोगिता में सोने का तमगा हासिल किया था।इसके अलावा साइना ने 2010 में मिक्स्ड टीम के साथ सिल्वर और 2006 में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।

PunjabKesari

Related News