वायरल संक्रमण के प्रकोप के बीच अपने बच्चों के उपर खसरे का संकट मंडरा रहा है। मुंबई में खसरे से एक साल के बच्चे की मौत हो गई है, जबकि इस साल अब तक 126 बच्चे इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। खसरे में बच्चे को बुखार, सर्दी, खांसी और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इस बीमारी से जटिलताएं उन बच्चों में गंभीर हो सकती हैं जिन्हें आंशिक रूप से टीका लगाया गया है या जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है।
48 घंटों में हुई 3 बच्चों की मौत
पिछले कुछ दिनों से अचानक खसरा का प्रकोप देखने को मिल रहा है। सिर्फ 48 घंटों के अंदर 3 बच्चों की मौत भी हो चुकी है। सितंबर से कम से कम 96 बच्चे इससे संक्रमित पाए जा चुके हैं। चार नवंबर से 14 नवंबर के बीच 61 बच्चों को खसरे जैसे लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इन हालातों को देखते हुए बीएमसी के अधिकारियों ने माता-पिता से अपने 9 और 16 महीने के बच्चों को खसरा और रूबेला का टीका लगवाने की भी अपील की है।
क्या है खसरा
दरअसल बदलते मौसम के साथ सर्दी-जुकाम या अन्य कई तरह के वायरल इंफेक्शन का जोखिम बढ़ जाता है। इन्हीं में से एक खसरा रोग भी है, जो काफी संक्रामक होता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फैल सकता है। खसरा रोग को रूबेला (Rubeola) भी कहा जाता है, इसकी चपेत में आने पर शरीर पर लाल चकत्ते उभर आते हैं। यह लाल दाने शरूआत में सिर पर होते हैं और फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाते हैं।
खसरा के लक्षण
खसरा के लक्षण, वायरस के संपर्क में आने के लगभग 10 से 14 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। इन संकेतों पर सभी लोगों को विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता है।
बुखार-खांसी
बहती नाक- गला खराब होना
कंजंक्टिवाइटिस
गाल की अंदरूनी परत में छोटे सफेद धब्बे दिखना
त्वचा पर चकत्ते या दाने दिखाई देना।
आमतौर पर कान के पीछे से लाल चकत्ते शुरू होना और धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों में भी निकलने लगते हैं।
वैक्सीन से बच सकती हैं जिंदगी
खसरे की गंभीरता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसके कारण हर साल करीब 26 लाख लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती थी। साल 1963 में वैक्सीन आने के बाद हर 2 से 3 साल में इस प्रमुख महामारी के खिलाफ बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन की शुरुआत की गई। सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन होने के बावजूद साल 2018 में एक लाख 40 हजार से अधिक लोगों की मौत खसरे के कारण हो गई। जिनमें ज्यादातर 5 साल से कम आयु के बच्चे शामिल थे। खसरा के कारण होने वाली मौतों को रोकने में वैक्सीन सबसे अहम है। इसलिए बच्चें और प्रगनेंट महिलाओं को इसकी वैक्सीन जरुर लगवा लेनी चाहिए।
खसरे को चार चरणों में विभाजित किया जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं:-
इन्क्यूबेशन – यह खसरा का पहला चरण होता है। यह आमतौर पर खसरे के लक्षण शुरू होने से 10 से 14 दिन पहले का होता है।
प्रोड्रोमल – खसरा के दूसरे चरण को प्रोड्रोमल कहते हैं। इस समय खसरा के कुछ लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते हैं। इन लक्षणों में बुखार, घबराहट, खांसी, आंख आना (कंजंक्टिवाइटिस) और सर्दी जुखाम आदि शामिल हैं।
रैश – प्रोड्रोमल चरण के दो से चार दिन बाद मैकुलोपापुलर (चपटे और लाल) रैश दिखाई देने लगते हैं। यह खसरा का तीसरा चरण होता है।
रिकवरी – इस चरण में आते-आते मरीज रिकवर होने लगता है। इस चरण में यानी रोगी आमतौर पर दाने आने के चार दिन बाद तक संक्रामक होते हैं। फिर धीरे-धीरे खसरा का असर कम होने लगता है।
खसरा रोग से बचने के लिए टीकाकरण जरूर होता है।6 महीने से कम उम्र के बच्चों को खसरे का टीका लगाया जा सकता है:-
-खसरा से बचने का एकमात्र तरीका इसका टीका लगवाना है।
-खसरा से बच्चों को बचाने के लिए उन्हें मीजल्स वैक्सीन के 2 शॉट लगाए जाते हैं।
-खसरा होने के बाद सिर्फ इसके लक्षणों को काबू में करके इलाज किया जाता है।
-खसरा संक्रमित बच्चे को हाइड्रेटेड रखना जरूरी होता है।
-इस दौरान बच्चे को नारियल पानी, जूस जरूर दें।
- चकत्तों में आराम पाने के लिए आप नहाने के पानी में नीम की पत्तियां डाल सकते हैं।