ईसाई समुदाय के लोग हर साल अप्रैल के पहले हफ्ते के शुक्रवार को 'गुड फ्राइडे' के तौर पर मनाता है। यह दिन Holy Friday, Great Friday, Black Friday और Easter Friday भी कहलाता है। कहा जाता है कि इस दिन ईसाइयों के गुरु ईसा मसीह को कई यातनाएं दी गई थी। उसके बाद उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया था। ऐसे में लोग उनके आत्म बलिदान को याद करते हुए चर्च में इकट्ठे होकर एक साथ इस दिन को मनाते हैं। साथ ही कई सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेते हैं।
इस साल यह दिन 2 अप्रैल को मनाया जा रहा है। ईसाइ लोग इस दिन को खुशी का दिन नहीं मानते हैं। वे इसे शोक सभा की तरह मनाते हैं। मगर फिर भी यह दिन गुड़ फ्राइडे कहलाता है। तो चलिए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातेें...
इन दिन को मनाने की मान्यता
ईसाई समुदाय के लोग ईसाह मसीह को ईश्वर के बेटे मानते हैं। कहा जाता है कि वे धरती पर अज्ञानता व अंधकार मिटाकर प्रेम व अच्छाई का पाठ पढ़ाने आए थे। ऐसे में लोग उनसे प्रभावित होकर भगवान का बेटा मानने लगे थे। साथ ही सच व अच्छाई की राह पर चलने लगे। मगर उनकी लोकप्रियता देखकर वहां के ढोंगी धर्मगुरुओं ने रोम के शासक पिलातुस से उनकी शिकायत की। उन पर बहुत से अत्याचार करवाएं। फिर ईसा मसीहा को क्रूज पर मृत्यु दंड देकर उनपर कोड़े व चाबुक बरसाएं गए। उनके हाथों पर कील ठोककर सूली पर लटा दिया था। माना जाता है कि जिस दिन उन्हें सूली पर लटकाया गया था। उस दिन फ्राइडे था। ऐसे में यीशू के प्यार, आत्म बलिदान, दयालुता, त्याग को देखते हुए लोग इस दिन को गुड़ फ्राइडे कहने लगे।
ऐसे मनाते हैं गुड फ्राइडे
इस दिन पर लोग चर्च पर इकट्ठे होकर यीशू के याद करते हैं। कई लोग काले कपड़े पहन पर मातम करते हुए पदयात्रा निकालते हैं। इस दिन चर्च में लोग ना ही कैंडल जलाते हैं और न ही घंटिया बजाते हैं। वे बस लकड़ी की मदद से खटखट की आवाज करते हैं। असल में, वे इस दिन को त्याग व भलाई का दिन कहते हैं। इसलिए खासतौर पर लोग पौधारोपण, दान आदि सामाजिक कार्य करते हैं।
गुड़ फ्राइडे के तीसरे से मनाते हैं ईस्टर संडे
मान्यता है कि प्रभू यीशू को सूली पर लटकाने के ठीक तीसे दिन वे दोबारा जिंदा हो गए थे। साथ ही वे अपने अनुयायियों के साथ करीब 40 दिनों तक साथ रहे थे। इस दिन को यीशू का पुनः जीवित मानते है। साथ ही उस दिन संडे होने पर यह दिन 'ईस्टर संडे' कहलाया। ऐसे में लोग इस दिन से लेकर अगले 40 दिनों तक इस समय को ' ईस्टर पर्व' कह कर मनाते हैं।