महादेव और माता पार्वती का प्रिय सावन मास इस साल 25 जुलाई को शुरु होगा। इस मान्यता है कि इस दौरान शिव जी व माता पार्वती की पूजा करने व व्रत रखने के मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। जीवन की समस्त परेशानियां दूर होकर घर में सुख-समृद्धि, शांति व खुशहाली का वास होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महादेव की पूजा में उनकी प्रिय चीजें चढ़ाने से शुभफल की प्राप्ति होती है। ऐसे में शिव जी की पूजा से पहले उनकी पसंद व नापसंद चीजों के बारे में जाना बेहद जरूरी है। चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको भगवान शिव जी की प्रिय व अप्रिय चीजों के बारे में बताते हैं। ताकि आपको महादेव का आशीर्वाद मिल सके।
- शिव जी को ये चीजें चढ़ाने से मिलेगा शुभफल
दूध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को दूध अतिप्रिय है। इसलिए उनका दूध से अभिषेक खासतौर पर किया जाता है। दूध की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई मानी जाती है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय भगवान शिव के विषपान करने से उनके शरीर में जलन होने लगी थी। उस समय इस जलन को शांत करने के लिए देवताओं ने उन्हें दूध पीने का आग्रह किया था। फिर दूध पीने के बाद उनकी जलन शांत हो गई थी और तब से ही दूध शिव जी का प्रिय हो गया। इसलिए दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने की प्रथा है।
लाल और सफेद आकड़े के फूल
लाल व सफेद आकड़े के फूले (आक) महादेव को अतिप्रिय है। कहते हैं कि इसे शिव जी को अर्पित करने से उनकी असीम कृपा मिलती है। इसलिए शिव पूजा में खासतौर पर आक के फूल रखे जाते हैं। मान्यता है कि शिव पूजा में इस फूल को चढ़ाने से पापों से छुटकारा मिलकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कनेर का फूल
आक की तरह कनेर का फूल भी महादेव के अतिप्रिय माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन मास में शिवलिंग पर कनेर फूल चढ़ाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
इन चीजों का भी विशेष महत्व
इन सब चीजों के साथ धतूरा, बेलपत्र, चंदन, केसर, भांग, इत्र, अक्षत, शक्कर, दही, घी, शहद, गंगाजल, गन्ने का रस आदि चीजें शिव जी की प्रिय मानी जाती है। ऐसे में इन सब चीजों से शिव जी का अभिषेक करने से शुभफल की प्राप्ति होती है।
- शिव पूजा में ये चीजें चढ़ाने से बचें
केतकी और केवड़े का फूल
केतकी और केवड़े के फूल महादेव को प्रिय नहीं माने जाते हैं। इसलिए इन फूलों को शिव पूजा में चढ़ाना वर्जित माना जाता है। ऐसे में महादेव को ये फूल चढ़ाने से बचें।
शंख
बेहद पवित्र व श्रीहरि का प्रिय होने के बावजूद भी शंख महादेव की पूजा में चढ़ाना वर्जित माना जाता है। धार्मिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था। ऐसे में शंख शिवपूजा में वर्जित माना जाता है।
तुलसी
शंख की तरह शिव पूजा में तुलसी का पत्ता भी वर्जित माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी जालंधर नामक राक्षस की पत्नि थी जो भगवान शिव का शत्रु था। साथ ही ऐसे में शिव जी की पूजा में तुलसी का पत्ता चढ़ाने की भूल ना करें।
रोली, हल्दी व कुमकुम
हल्दी का धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। मगर शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है। इसलिए शिव पूजा में हल्दी चढ़ाने की मनाही है।
कुमकुम या रोली
हल्दी की तरह शिव पूजा में कुमकुम और रोली चढ़ाना भी वर्जित मानी जाती है।
नारियल पानी
नारियल धन की देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही इसे शुभ कार्यों में प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है। मगर शिव का नारियल पानी से अभिषेक करने के बाद यह ग्रहण योग्य नहीं रहता है। इसलिए महादेव की पूजा में नारियल पानी वर्जित माना गया है।