हर साल हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह शुभ त्योहार आज यानि 4 नवंबर को पड़ रहा है। यह दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित होने से इस शुभ अवसर पर खासतौर पर माता रानी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि दिवाली की रात लक्ष्मी माता की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली का वास होता है। जीवन की समस्याएं दूर होकर आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। ऐसे में आज हम आपको दिवाली की रात पूजा करने की विधि बताते हैं...
ऐसे करें दिवाली पूजा
सफाई करें
सबसे पहले घर व मंदिर की अच्छे से सफाई करके सजाएं। पूजा से पहले मंदिर, पूरे घर और परिवार के सभी सदस्यों पर गंगा जल छिड़कें। इसे शुद्धिकरण कहा जाता है।
पूजा की चौकी लगाएं
जहां आप पूजा करने वाले हैं वहां पर चौकी रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर अनाज के दाने फैलाएं। फिर हल्दी पाउडर से एक कमल बनाकर उसके ऊपर मां लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
कलश स्थापना करें
अब तांबे के बर्तन में तीन चौथाई पानी भरें। फिर इसमें 1 सिक्के, सुपारी, किशमिश, लौंग, सूखे मेवे व इलायची डालें। बर्तन के ऊपर आम के पत्ते गोलाकार में सजाकर ऊपर से नारियल रख दें। कलश के ऊपर रोली व सिंदूर से स्वास्तिक बनाएं।
मूर्तियों को स्नान करवाएं
मूर्तियों को जल, पंचामृत, चंदन और गुलाब जल से स्नान करवाना शुभ माना जाता है। इसलिए आप भी ऐसा ही करें। इसके बाद भगवान जी की मूर्तियों को हल्दी पाउडर, चंदन का लेप और सिंदूर से सजाएं। फिर मूर्तियों के चारों ओर माला और फूल चढ़ाएं। इसके साथ ही पूजा में कुछ सिक्के भी रखें। फिर दीपक, अगरबत्ती जलाएं।
पूजा
किसी भी शुभ अवसर पर सबसे पहले गणेश जी की पूजा करने का रिवाज है। इसकी आप भी पहले गणेश जी पूजा करें। इसमें बप्पा की चालीसा, मंत्रों का उच्चारण करें। उसके बाद देवी लक्ष्मी, नवग्रहों, कुबेर देवता आदि देवी-देवताओं की पूजा करें।
भोग लगाएं
प्रसाद के तौर पर बताशा, लड्डू, सुपारी, सूखे मेवे, नारियल, मिठाई, मीठा पान, घर की रसोई में बने व्यंजन आदि का भोग लगाएं।
लक्ष्मी जी की कहानी पढ़ें
दिवाली पूजा में घर के किसी बुजुर्ग से देवी लक्ष्मी की कहानी सुनना शुभ माना जाता है। मगर आप चाहे तो खुद भी कहानी पढ़ या ऑनलाइन सुन सकते हैं। उसके बाद देवी मां की मूर्ति पर फूल चढ़ाकर भोग लगाएं।
पूजा आरती
पूजा के आखिर में सारा परिवार मिलकर आरती गाएं। फिर माता रानी से घर व जीवन की सुख-समृद्धि की कामना करें। देवी लक्ष्मी व अन्य देवी-देवताओं को भोग लगाकर प्रसाद को पूरे परिवार में बांटे और खुद भी खाएं।